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मुंद्रा अडानी बंदरगाह से 15 सितंबर को पकड़ी गई 3000 किलो ड्रग्स ने अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। अधिकारियों को डर है कि अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में ड्रग्स की सप्लाई बढ़ेगी और इससे नया संकट पैदा हो जाएगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ड्रग्स की इतनी बड़ी खेप पकड़े जाने और ड्रग्स नेटवर्क का भंडाफोड़ होने के बाद भारत सरकार इसकी जांच एनआईए को सौंप सकती है।
ड्राई रन में मिले थे साक्ष्य
3000 किलो ड्रग्स मामले में राजस्व खुफिया निदेशालय ने नया खुलासा किया है। निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि नौ जून को कच्छ बंदरगाह पर एक ड्रग रनर्स ड्राइ रन किया गया था। इस ड्राइ रन से मिल साक्ष्यों के आधार पर डीआरआई ने आईबी, रॉ व एनआईए जैसी सुरक्षा एजेंसियों की मदद से मुंद्रा बंदरगाह पर इतनी बड़ी कार्रवाई की और अफगान नागरिकों द्वारा भारत में फैलए गए ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया।
दिल्ली से जुड़ रहे तार
मुंद्रा बंदरगाह पर हुई कार्रवाई के तार राजधानी दिल्ली से जुड़ रहे हैं। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने भी स्पेशल सेल का गठन कर दिया है। इसमें तीन नए डीसीपी की तैनाती की गई है। यह ड्रग टेरर अंडरवर्ल्ड यूनिट केंद्रीय एजेंसियों के साथ काम करते हुए ड्रग चेन का पता लगाएगी। बता दें दिल्ली में पहले से ही नाइजीरिन व अफगानी नागरिक पहले से ड्रग सप्लायर के रूप में सक्रिय हैं।
भारत में छा रहा ड्रग संकट
एनसीबी के अधिकारियों का कहना है कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में ड्रग संकट पैदा हो रहा है। आशंका जताई जा रही है कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में अफीम की रिकॉर्ड खेती होगी और भारत में पाकिस्तान समर्थक लोगों के लिए यह आय का बड़ा साधन बन जाएगा। ऐसे में मुंबई व दिल्ली में ड्रग्स संकट गहरा सकता है।
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