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तीन रूपों में दर्शन देती हैं हरसोला देवी:इंदौर से 16 किलोमीटर दूर भवानी मंदिर में मन्नत लेकर पहुंचते हैं, अमेरिका और चीन से भी दर्शन करने आते है श्रद्धालु

इंदौर शहर के नजदीक महू रोड पर हरसोला में भवानी माता का यह मंदिर मान्यताओं के लिए जाना जाता है। यहां अमेरिका और चीन से दर्शन करने के लिए भी लोग आ चुके है। जिसमें उनकी मुराद पूरी हुई तो आस्था हजारों किलोमीटर दूर तक जागी। यहां गोद भरने के साथ शादी की तारीखें भी लगती है। जिसका काम पूरा होता है वह कुछ ना कुछ माता के चरणों में अर्पित करके जाता है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यहां माता रानी अपने तीन रूपों में दर्शन देती हैं। पूरा गांव इसे चमत्कार के रूप में मानता है।
हरसोला ग्राम के अंदर स्थित इस भवानी मंदिर का इतिहास 400 साल से भी अधिक का बताया जाता है। यहां माता की प्रतिमा की स्थापना कैसे हुई, कोई नहीं जानता। यहां मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी बालकृष्ण शर्मा बताते हैं कि उनकी पांचवी पीढ़ी से सेवा दे रही है। होलकर वंश के राजाओं ने यहां मंदिर की स्थापना की थी। लेकिन कब की थी, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं। बताया जाता है कि यहां होलकर साम्राज्य के राजा बलि देने आते थे।
तीन स्वरूप में देवी देती हैं दर्शन
पुजारी बालकृष्ण शर्मा के मुताबिक सबसे पहले उनके दादा रामचंद्र यहां पूजन करते थे। जिसके बाद उनके पिता सदाशिव फिर वह खुद इसके बाद अब बेटा भरत और उनका बेटा गोंविद यहां सेवा दे रहा है। बालकृष्ण बताते है कि उनकी दादी कहती थी कि मां के तीन स्वरूप है, जिसमें सबसे पहले सुबह 5 बजे देवी के बाल स्वरूप में दर्शन देने की बात बताई जाती है। दोपहर में युवा व शाम होते हुए वृद्धा अवस्था में मां दर्शन देती हैं। यहां हर माह की शुक्ल पक्ष की नवमीं को कन्या भोज का आयोजन भी किया जाता है।

अपूर्वा यादव निवासी गुमाश्ता नगर

बेटा हुआ तो चढ़ाया चांदी का छत्र
गुमाश्ता नगर की अपूर्वा यादव ने बताया कि वह आठ साल से मंदिर दर्शन के लिए आ रही हैं। उन्होंने यहां चांदी का छत्र चढ़ाया था। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शादी के बाद बेटे के लिए उन्होंने मनोकामना की थी। पूरी हुई तो अपूर्वा ने अपने पति के साथ आकर यहां चांदी का छत्र चढ़ाया है। अपूर्वा ने बताया कि उसके ससुराल पक्ष के साथ माता-पिता भी यहां दर्शन करने आते हैं।

2012 से मंदिर से जुड़ा था, एमबीए किया, शादी हुई
हरसोला में रहने वाले एचआर मार्केटिग में एमबीए करने वाले राकेश ने बताया कि वह 2012 से इस मंदिर में जुड़े थे। उसके बाद एमबीए की पढ़ाई पूरी की अच्छी कंपनी में नौकरी लगी। शादी हो गई अब दो बच्चे है। यहां हर तरह की मुराद पूरी होती है। राकेश ने बताया कि यहां आने से उन्हें आत्मिक शांति भी मिलती है।

राकेश ग्राम हरसोला

अमेरिका से बेटे ने कॉल किया ओर इंडिया आकर शादी की
पंडित बालकृष्ण ने बताया कि कुछ साल पहले इंदौर में रहने वाला गुप्ता परिवार उनके पास आया था। उन्होंने बताया कि बेटा अमेरिका में नौकरी करता है। उसने वहां शादी के लिए लड़की देख ली है और वहीं शादी करना चाहता है। चूंकि परिवार का इकलौता बेटा होने से माता-पिता तनाव में थे। उन्हें जब भवानी मां की कृपा की जानकारी लगी तो वह मंदिर आकर माता के चरणों मे अपनी परेशानी बताकर चले गए। एक माह बेटे का अमेरिका से कॉल आया और माता पिता को इंडिया में लड़की देखने की बात करते हुए यहां आकर शादी कर ली। पंडित बालकृष्ण ने बताया कि चायना के लोग जब इंडिया आए तो उन्हें किसी ने बताया कि यहां माता जी का मंदिर है। उसके बाद दर्शन करने के साथ मानसिक परेशानी होने की बात कही। माता दर्शन करने के बाद चायना से कॉल आते है ओर लाइव वीडियो भी मांगते हैं।
महाराष्ट्र, राजस्थान के साथ अन्य जिलों के लोग आते है
पंडित बालकृष्ण के मुताबिक महाराष्ट्र, राजस्थान से यहां लोग दर्शन करने आते है। इसके साथ ही आसपास के जिलो में भोपाल, महेश्वर करई, निमाड़ के लोग यहां अपनी मुरादे लेकर आते है। वह भवानी माता को अपनी कुलदेवी भी मानते है।

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