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शिवसेना ने नोटबंदी को बताया देश पर परमाणु बम हमला

uddhav-1484726870मुंबई: नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए आज शिवसेना ने कहा है कि इस फैसले के जरिए उन्होंने देश पर परमाणु बम गिराया है और अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा और नागासाकी में तब्दील कर दिया है। जापान के दो शहर- हिरोशिमा और नागासाकी दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका के बम हमलों में तबाह हो गए थे। शिवसेना के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा गया, ऐसा लगता है कि मोदी आज किसी की बात सुनने के मूड में नहीं हैं। मंत्रिपरिषद में गूंगे-बहरे तोते बैठा दिए गए हैं और इसी तरह का आरबीआई गवर्नर नियुक्त कर लिया गया है। इन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को उसकी जड़ों से हिला दिया है।

भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने देश की अर्थव्यवस्था पर पड़े नोटबंदी के असर की तुलना दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका की ओर से किए गए परमाणु हमले से की। शिवसेना ने कहा, यहां तक कि एसोचैम ने भी कहा है कि नोटबंदी के बाद 40 लाख नौकरियां जा चुकी हैं तथा भविष्य में यह संख्या और बढ़ेगी। इसका अर्थ यह है कि नोटबंदी का परमाणु बम गिराकर मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा और नागासाकी में बदल दिया है। हम देश के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं।

मोदी ने अपनी हालिया महाराष्ट्र यात्रा के दौरान कहा था कि वह शासन के मुद्दे पर शरद पवार से सलाह लेते थे। उनके इस बयान को याद करते हुए शिवसेना ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के मुद्दे पर राकांपा प्रमुख से सलाह ली होती तो वह उन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ यानी सहकारी आंदोलन का अपमान न करने की सलाह देते। संपादकीय में कहा गया, किसानों की रीढ़ तोड़ दी गई है और उनकी स्थिति के बारे में पूछने वाला कोई भी नहीं है। जिला सहकारी बैंकों को पुराने नोट बदलने से रोककर ऐसे सभी बैंकों पर भ्रष्ट होने का तमगा लगा दिया गया है।

आगे कहा गया है कि किसान अपने दैनिक लेनदेन के लिए जिला सहकारी बैंकों का इस्तेमाल करते हैं और यदि सरकार इन किसानों को कालाबाजारी करने वाला मानती है, तो फिर उसे जय जवान, जय किसान का नारा देने का कोई अधिकार नहीं है। शिवसेना ने कहा कि विवादों से घिरे शराब व्यापारी विजय माल्या पर बैंकों की कथित तौर पर करोड़ों रूपए की देनदारी है लेकिन उन्होंने जिला सहकारी बैंकों के रिण कभी नहीं चुकाए। शिवसेना ने कहा, हमें यह देखकर बहुत दुख होता है कि लोगों के जीवन की निरंतरता डगमगा गई है।