वाराणसी में टीचर एलिजबिलिटी टेस्ट (टीईटी) के रविवार को निरस्त होने के विरोध में अभ्यर्थियों ने खूब हंगामा मचा। शहरी और ग्रामीण इलाकों में केंद्रों के पास रास्ता जाम कर परीक्षा व्यवस्था में लापरवाही का आरोप लगाते हुए नारेबाजी भी की। केंद्रों पर अभ्यर्थियों को अगले महीने इसी प्रवेश पत्र पर परीक्षा कराए जाने का आश्वासन दिया गया, तब वह माने।
दो पालियों में होने वाली टीईटी के लिए जिले में बने 89 केंद्रों पर करीब 50 हजार से अधिक अभ्यर्थी पंजीकृत थे। इसमें दूर दराज से कई अभ्यर्थी तो सुबह 7 बजे से ही पहुंचने लगे थे। पहली पाली में सुबह 10 से 12:30 बजे तक की परीक्षा शुरू हुई और अभी आधे घंटे की परीक्षा के बाद ही पेपर लीक होने की सूचना से अभ्यर्थी परेशान हो गए।
अभ्यर्थी केंद्रों के बाहर आकर हंगामा करने लगे। रथयात्रा, कमच्छा, सोनारपुरा, सुंदरपुर, सिगरा के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी अभ्यर्थी चक्का जाम करने लगे। उधर संत अतुलानंद स्कूल के बाहर भी अभ्यर्थियों के साथ ही अभिभावकों ने भी चक्का जाम किया। पेपर लीक होने की सूचना पर अभ्यर्थी पहले उसकी सत्यता में लगे रहे बाद में जब परीक्षा निरस्त करने की घोषणा हुई तो उनका गुस्सा और बढ़ गया। केंद्रों के बाहर अभिभावकों ने भी हंगामा मचाया और इसके लिए शासन, प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।
लोहता के राजेश कुमार यादव का कहना है कि पहले तो कोरोना संक्रमण की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी बाधित हुई जब तैयारी हो गई तो अब परीक्षा निरस्त होने से भविष्य अधर में लटक जाएगा।
जौनपुर के सतीश सिंह ने कहा कि हर बार परीक्षा से पहले पूरी तैयारी चुस्त, दुरूस्त होने का दावा किया जाता है। अब फिर से परीक्षा देना होगा। शासन-प्रशासन की नाकामी का परिचायक इससे बड़ा और क्या हो सकता है।
चित्रसेनपुर के चंद्रशेखर ने बताया कि परीक्षा को बीच में निरस्त करना सरकार की खामी हैं। इसका परिणाम परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ेगा। तमाम दावों के बाद भी इस तरह की अनियमितता ठीक नहीं है।