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एक माह पहले ही मेरठ के इदरीश के घर में किलकारियां गूंजी थीं। उसकी बेटी ने शहला ने एक बच्ची को जन्म दिया था। इसके 21 दिन बाद ही बेटे की पत्नी ने भी एक बच्ची को जन्म दिया। परिजनों खुश थे और दोनों बच्चियों का अकीका एक ही दिन रखने का फैसला किया लेकिन शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि जश्न का दिन पजिनों के लिए मातम का दिन बन जाएगा और इन मासूम बच्चियों के लिए जिंदगी का आखिरी दिन साबित होगा। जरा सी लापरवाही से लगी आग ने दोनों मासूम बच्चियों की जान ले ली।
रविवार को शाम के करीब सात बजे खंदक बाजार के भीड़ वाले इलाके में इदरीश के 50 गज के मकान में दो मासूम बच्चियों के अकीका के लिए चहल-पहल थी। अंदर भट्ठी पर खाना बनाया जा रहा था। इसी बीच गैस बंद हो गई। परिवार की महिला ने जैसे ही माचिस की तीली जलाई तो सिलिंडर ने आग पकड़ ली। महिलाएं तो जैसे तैसे जान बचाकर बाहर आ गईं, लेकिन अंदर बच्चियां आग की चपेट में आ गईं। मकान आग का गोला बन चुका था। मासूम अंदर जल रहीं थीं और बाहर बेबस परिजन दहाड़े मारकर बिलख रहे थे। इदरीश के चार बेटे और छह बेटियां है। दो बेटे और दो बेटियां साउथ अफ्रीका में रहते हैं।

एक महीने पहले ही बेटी शहला ने एक बच्ची को जन्म दिया। इदरीश के बेटे जुनेद की पत्नी को भी 21 दिन पहले बेटी हुई। दो बच्चियों का जन्म हुआ तो जुनैद और उसकी बहन ने दोनों का अकीका एक साथ रखने का फैसला किया। सोमवार को घर में दावत थी और रविवार को यह हादसा हो गया।
जिगर के टुकड़ों को बचाने के लिए आग में कूदने को तैयार थीं माताएं
आग लगने के बार घर से बाहर आईं बच्चियों की माएं आग में कूदने को तैयार थीं। उन्हें किसी रतह लोगों ने संभाला। आखों के सामने जिंदा दोनों बेटियां जल गई और परिवार बेबस रहा। आग बुझते ही परिवार के लोग मकान में घुस गए, लेकिन तब तक सामान के साथ दोनों मासूमों का कंकाल ही बचा था। घनी आबादी खंदक बाजार में ये खौफनाक मंजर जिसने भी देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए।

ननद-भाभी बेहोश
भीषण आग में अपनी-अपनी बेटियों को जलता देखकर जुनैद की पत्नी शहीना व उसकी ननद शैला बेहोश हो गई। होश में आईं तो दोनों मासूमों को बचाने के लिए अंदर घुसने की कोशिश करने लगीं। लोगों ने किसी तरह से उन्हें रोका।
रोते रहे पिता
परिवार के हर व्यक्ति का रो रोकर बुरा हाल था। रिश्तेदारी महिलाएं भी रोती बिलखती पहुंच गई लेकिन तब तक दोनों बच्चियों की मां बदहवास थीं। दोनों सुदबुद खो चुकी थीं। जुनैद और इमरान की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी। रोते हुए वह बोल रहे थे कि मुझे बच्ची को दूध पिलाना है, वह बहुत देर से भूखी है।

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल, जान पर खेल सिलिंडर बाहर खींचा
इदरीश के घर में आग लगते ही कोहराम मच गया। आग की ऊंची ऊंची लपटें उठ रहीं थी। तभी कुछ लोग वहां पहुंचे और जान जोखिम में डाल आग लगे सिलिंडर को बाहर खींच लाए। यहां लोगों ने बालू डालकर आग को बुझा दिया। मासूब बच्चियों को न बचा पाने का दर्द यहां हर किसी के चेहरे पर दिखा।
खंदक बाजार मिश्रित आबादी का इलाका है। जिस जगह इदरीश का घर बना है। वहां से चंद कदम की दूरी पर हिंदू परिवार भी रहते हैं। लगभग 80 प्रतिशत बाजार बंद हो चुका था। तभी आग लगने का शोर मच गया। लोग उस ओर दौड़ पड़े। परिवार के लोग बाहर खड़े चिल्ला रहे थे। पूछने पर पता चला कि नवजात बच्चियां अंदर हैं।

कुछ लोगों ने साहस भी दिखाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। घर का हर कोना आग से घिरा था। इसी दौरान पड़ौसी दिलीप गुप्ता क्षेत्रीय निवासी शोभित की मदद से गैस सिलिंडर बाहर खींच लाए। लोगों ने आग पर काबू पाया। घर की आग भी लोगों ने बुझानी शुरु कर दी। तभी दमकल की दो गाड़ियां आ गई और आग को बुझाया।
घर में आग लगने के बाद आस पास के लोग एकत्र हो गए। पूरी सड़क भीड़ से घिर गई। दमकलकर्मियों ने पुलिस की मदद से भीड़ को हटाया। तब जाकर आग बुझाने का काम शुरु हो सका। घर ऐसी जगह पर बना था, जहां पहुंचने के लिए दमकल को मशक्कत करनी पड़ी।
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