रोटोमैक ग्रुप के मालिक विक्रम कोठारी की मंगलवार सुबह बाथरूम में फिसलने के बाद सिर पर गहरी चोट लगने के बाद निधन हो गया। जिस वक्त हादसा हुआ उस समय विक्रम कोठारी घर पर अकेले थे। उनकी पत्नी लखनऊ में बेटे के साथ थीं। विक्रम कोठारी का एक बेटा और तीन बेटियां हैं। उनका जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा, जहां रोटोमैक की सफलता ने उन्हें बुलंदियों तक पहुंचाया, वहीं बैंकों के 7800 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में भी उनकी संलिप्तता रही।
तिलक नगर स्थित आवास संतुष्टि में उन्होंने आखिरी सांस ली। विक्रम कोठारी कई हजार करोड़ के बैंक फ्राड के आरोपी थे। दो साल जेल में रहने के बाद बीमार होने की वजह से जमानत पर बाहर थे। उनका बेटा राहुल कोठारी अभी भी जेल में है।
विक्रम कोठारी 90 के दशक में पेन किंग के नाम से कारोबार जगत में मशहूर थे। 38 देशों में रोटोमेक पेन का कारोबार उन्होंने फैलाया। उनके ब्रांड के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुपर स्टार सलमान खान और रवीना टंडन रोटोमैक के ब्रांड एम्बेस्डर थे। दिग्गज अंतर्राष्ट्रीय पेन कंपनियों को उन्होंने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
जानिए कौन है विक्रम कोठारी
उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले विक्रम कोठारी ‘रोटोमैक ग्लोबल’ के सीएमडी थे। जो स्टेशनरी के व्यापार की नामी कंपनी है। विक्रम कोठरी ने ही साल 1992 में रोटोमैक ब्रांड शुरू किया था, जो भारत में एक नामी ब्रांड बना।
विक्रम कोठारी मशहूर उद्योगपति मनसुख भाई कोठारी के बेटे थे। जिन्होंने ‘पान पराग’ नाम के गुटखा ब्रांड की शुरुआत की थी। मनसुख भाई के बाद उनके पुत्र विक्रम ने यह काम संभाला। पान पराग की मार्केटिंग के कारण विक्रम कोठारी को कई अवॉर्ड्स मिले, साथ ही कानपुर के गुटखा किंग का टाइटल भी उन्हें पान पराग के कारण ही मिला।
प्रॉपर्टी में विवाद के बाद विक्रम और उनके भाई दीपक कोठारी के बीच बंटवारा हो गया था। जिसमें 1973 में बने पान पराग गुटखा को सफलतम ऊंचाईयों तक पहुंचाने के बाद को यह ब्रांड विक्रम कोठारी के भाई दीपक कोठारी के हिस्से में चला गया था। जबकि विक्रम कोठारी के हिस्से में स्टेशनरी का व्यापार आ गया। साल 1983 में सामाजिक कार्यों में अहम योगदान के कारण लायन्स क्लब ने गुडविल एंबेसडर बनाया था।