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रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को प्रदेश के शहरों में घर बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों को नए वर्ष का तोहफा दिया है। नई व्यवस्था के तहत 500 वर्ग मीटर तक के आवासीय भूखंडों में राज्य शहरी विकास प्राधिकरण (सुडा) की वेबसाइट के जरिए सिर्फ एक रुपये में अधिकतम 30 दिनों के अंदर भवन निर्माण की अनुमति मिल जाएगी।
उम्मीद की जानी चाहिए कि मानव हस्तक्षेप रहित आनलाइन भवन निर्माण अनुमति की यह व्यवस्था भ्रष्टाचार के साथ-साथ अवैध निर्माणों को रोकने में सफल रहेगी। इसके लिए जरूरी होगा कि भवन निर्माण का इच्छुक व्यक्ति वेबसाइट पर खुद को निबंधित करने के बाद आवश्यक प्रमाणपत्र और आर्किटेक्ट द्वारा तैयार योजना को अपलोड कर दे। प्रदेश स्तर पर आवेदनों की संख्या और वास्तविक निर्माणों का आकलन किया जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि इस काम में भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है।
टाउन प्लानिंग विभाग में भवन अधिकारी से लेकर बिल्डिंग इंस्पेक्टर तक के चक्कर काटते-काटते लोगों का वर्ष गुजर जाता है। समस्या की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रदेश में भवन निर्माण की सर्वाधिक अनुमति रायपुर में दी जा रही है और यहां लोगों को 340 दिनों तक चक्कर काटने पड़े हैं। बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर और राजनांदगांव में भी 300 से अधिक दिनों तक फाइलें लटकाई जाती रही हैं। सबसे आगे जगदलपुर है, जहां नगरीय निकाय से भवन निर्माण की अनुमति प्राप्त करने में 360 दिनों तक का समय लगता रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि 30 दिनों में अनुमति की प्रक्रिया पूरी होने से आम शहरी किस तरह राहत की सांस लेंगे।
इस आनलाइन प्रक्रिया की रिपोर्ट प्रतिदिन संबंधित जन प्रतिनिधियों, आयुक्तों और इंजीनियरों को भी उपलब्ध होने से फाइलें लटकाने वाले बाबुओं और दलालों की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। सबसे महत्वपूर्ण अवैध निर्माणों पर नियंत्रण होगा। घर बनाना किसी भी व्यक्ति का सपना होता है। इसके लिए जमीन के प्रबंध से लेकर निर्माण सामग्री और कारीगर-मजदूर तक की व्यवस्था करनी पड़ती है। बड़ी मुश्किल से इस काम के लिए धन का प्रबंध होता है।ऐसे में एक साल तक अनुमति नहीं मिलने के कारण लोग गलत रास्ते अपनाने को प्रवृत्त हो जाते हैं। रिश्वतखोरों और दलालों की यही चाहत होती है। एक बार भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंसने के बाद व्यक्ति लाख कोशिश के बाद भी मुक्त नहीं हो पाता। बार-बार दंड भुगतना पड़ता है। इसी तरह अगर शीर्ष अधिकारी चाहेंगे तो आनलाइन निगरानी की सुविधा होने के कारण कोई भी व्यक्ति स्वीकृत नक्शा से हटकर निर्माण नहीं करा सकेगा। मास्टर प्लान का अनुपालन सुनिश्चित हो सकेगा।
जमीन की रजिस्ट्रियों के बाद भवन निर्माण की आनलाइन व्यवस्था नगरीय क्षेत्रों के निवासियों लिए काफी राहतकारी कदम है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुसार प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के निवासियों को इस सुविधा का त्वरित लाभ होगा।
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