ग्वालियर: बेटी के बिछड़ने के गम में मां को सदमा लगा और बीमार पड़ गई। बीमारी ने ऐसा जकड़ा कि वह फिर ठीक नहीं हो सकी और बेटी के जन्म दिन पर ही उसकी मौत हो गई। रामाबाग कालोनी निवासी नम्रता पत्नी शशिकांत जैन उम्र 33 साल ने दो साल पहले 24 दिन की बेटी गोद ली थी। एक माह पहले बेटी को उसके असली माता पिता वापस ले गए। जिसके गम में डूबी नम्रता की हालत बिगड़ने लगी। जांच में पता चला कि उसे कैंसर और फैंफड़े में पानी भरा है। जिसके चलते उसे निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां पर दो दिन पहले रैपिड जांच में कोविड की पुष्टी हुई। सोमवार को बेटी का जन्म दिन था, पर बेटी नहीं थी। जिसकी याद में डूबी नम्रता की मौत हो गई। नम्रता के पति शशिकांत का कहना है कि रात में उसने बेटी को काफी याद किया और रात साढ़े 12 बजे अचानक से बाेलना बंद कर दिया पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। संभवत: उसे ह्दयघात हुआ होगा। हालांकि कोविड रिपोर्ट में पाजिटिव बताया था इसलिए उसका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में किया गया।
मुंहबोली बहन की बेटी ली थी गोदः शशिकांत का कहना है कि बडौदा की रहने वाली मुंहबोली बहन अंजली पत्नी विवेक कुमार से लंबे अर्से बाद सहारनपुर में एक जैन समाज के कार्यक्रम में मुलाकात हुई थी। तब अंजली को दो बेटी थी और तीसरी बेटी उसके गर्भ में थी। मुझे कोई संतान नहीं थी जिसके बारे में मैंने बातों बातों में अंजली को बताया और मैंने यह भी बता दिया कि वह जल्द ही कोई बच्चा गोद लेने वाले हैं। जिसके बाद अंजली ने प्रस्ताव रखा कि उसके पास दो बेटियां पहले से ही तीसरी बेटी गर्भ में आप पैदा होने पर उसे गोद ले लें। मुंहबोली बहन थी इसलिए मैंने और नम्रता ने सहमति जता दी। 100 रुपये के स्टांप पेपर पर लिखापढ़ी कर 24 दिन की बच्ची दो साल पहले गोद ले ली। बच्ची का पहला जन्म दिन धूम धाम से मनाया और बच्ची के आने से नम्रता की झोली में खुशियां लौट आई थीं। लेकिन जब बच्ची डेढ़ साल की हुई तो मुंह बोली बहन बच्ची को वापस मांगने लगी और उसने अपहरण का आराेप लगाते हुए कोर्ट में केस कर दिया। 8 दिसंबर 2021 को अंजली पुलिस के साथ आई और जबरन बच्ची को ले गई। उसके बाद नम्रता टूट गई और बीमार रहने लगी। बच्ची का आज जन्म दिन है और उसी की याद में उसकी जान चली गई।
नम्रता को भी गोद लिया थाः शशिकांत ने बताया कि नम्रता भिंड के रहने वाले कमल जैन की बेटी है। कमल के बड़े भाई अशोक की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने नम्रता को गोदी लिया था। जब नम्रता ने बेटी को गोद लिया तो मेरे ससुर अशोक ने ही 100 रुपये के स्टांप पर लिखापढ़ी कराई थी। यदि विधिवत गोदीनामा कराया होता तो आज मेरी पत्नी जिंदा होती और बेटी उसके साथ होती।