महामारी की पांचवीं लहर से बाहर आ रही दिल्ली में कोरोना संक्रमण लगातार कम हो रहा है। बावजूद इसके कुछ लोगों में वायरस अभी भी गंभीर स्वरुप में दिखाई दे रहा है। स्थिति यह है कि अस्पतालों में भर्ती हर दूसरा कोरोना रोगी आईसीयू में है। ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से आई इस लहर का पीक पिछले माह ही निकल गया है। आंकड़ों की बात करें तो लहर निकलने के बाद से अब तक दैनिक मामलों में करीब 90 फीसदी से ज्यादा की गिरावट भी दर्ज की जा चुकी है। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि कोरोना संक्रमण कम होने के बाद भी आबादी के एक हिस्से को परेशान कर रहा है। इसलिए लोगों को कोविड सतर्कता व्यवहार में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
दिल्ली के सबसे बड़े कोविड केंद्र लोकनायक अस्पताल के निदेशक डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि बीते दिनों की तुलना में अब उनके यहां दिन में दो या फिर तीन मरीज ही भर्ती हो रहे हैं। उनके यहां अभी भी 734 कोरोना बिस्तर खाली पड़े हैं। हालांकि एक स्थिति यह भी है कि भर्ती रोगियों में सबसे अधिक संख्या आईसीयू में उपचार लेने वालों की है। इनमें टीकाकरण न कराने वाले भी शामिल हैं और पहले से बीमार अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक भी। डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि साल 2020 से अब तक कोरोना महामारी में काफी कुछ सीखने को मिला है और इसके प्रभावों में बदलाव भी मिला है लेकिन जिन लोगों को दो साल पहले कोरोना जोखिम भरा था उन्हें अभी भी उतनी सतर्कता बरतने की जरूरत है।
नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने बताया कि उनके यहां दो से चार मरीज ही भर्ती हो रहे हैं। अधिकांश बिस्तर उनके यहां रिक्त पड़े हैं। डॉ. शेरवाल का भी मानना है कि टीकाकरण न कराने वाले सबसे पहले दोनों खुराक लें। जिन लोगों की आयु अधिक है या फिर जिन्हें पहले से बीमारी है उन्हें सबसे अधिक ध्यान रखने की जरूरत है।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अस्पतालों में 490 कोरोना मरजी भर्ती हैं जिनमें से 220 मरीजों की हालत काफी नाजुक बनी हुई है। इन्हें गंभीर चिकित्सा श्रेणी में रखा गया है जिसके चलते इन्हें ऑक्सीजन थैरेपी इत्यादि भी देनी पड़ रही है। इसी तरह दिल्ली फाइट कोरोना वेबसाइट के अनुसार अस्पतालों में अभी 14923 बिस्तर खाली पड़े हैं। इनके अलावा 14128 बिस्तर ऑक्सीजन, आईसीयू के 4277 और 1847 वेंटिलेटर खाली पड़े हैं।
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