रायपुर :गोबर से कंडा, खाद, दीया, मूर्ति, सजावटी सामान यहां तक कि चप्पल बनाने के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन इस बार की होली में गोबर का गुलाल भी उड़ेगा। बता दें कि देश्ा में पहली बार गोबर से गुलाल बन रहा है। संतोषी नगर, रायपुर स्थित गोकुलनगर के गोठान में स्वसहायता समूह की महिलाएं गोबर से गुलाल तैयार कर रही हैं। लोग इस गोठान से गोबर का गुलाल खरीद सकते हैं। यह बाजार में भी बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा। लोग चर्चा करने लगे हैं-‘ये बार गोबर के गुलाल उड़ही।”
गोबर में नहीं मिलाते केमिकल
विशेषज्ञों की मानें तो ये गुलाल त्वचा को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएगा। गाय के गोबर को वैसे भी पवित्र माना गया है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान बिना इसके पूरा नहीं होता। गोठान समूह की महिलाओं ने बताया कि गुलाल में किसी केमिकल का उपयोग नहीं हो रहा है। गुलाल को बनाने के लिए नगर निगम रायपुर द्वारा किसी कार्यक्रम में स्वागत के बाद बचे हुए फूल-मालाओं को सुखाकर इसका कलर बनाने के लिए उपयोग किया जा रहा है। वहीं जिस तरह का फूल अधिक रहता है, उस रंग का गुलाल का निर्माण हो रहा है।
कैसे बनता है गोबर का गुलाल
गाय के गोबर को सुखाने के बाद पप्लाइजर मशीन से पीसा जाता है। इसके बाद फूलों को पीसकर गोबर के चूरे में मिलाया जाता है। फूलों से इन्हें प्राकृतिक रंग मिल जाता है। इसके बाद इसे फिर से सुखाकर पीसा जाता है। इस तरह गुलाल तैयार हो जाता है।
अभी 50 किलो की सप्लाई
गोठान से स्वसहायता समूह द्वारा अभी बाजार के लिए 50 किलो गोबर से बने गुलाल की सप्लाई की जा चुकी है। होली पर गुलाल की राज्य के कई जिलों और अन्य प्रदेश्ाों से ज्यादा डिमांड आ रही है। इस कारण अभी लोगों की आपूर्ति के लिए गुलाल बनाने का कार्य जारी है। इस होली में 500 किलो गुलाल बनाने का लक्ष्य है।
त्वचा को नुकसान नहीं करता है
देश में गोबर से गुलाल पहली बार बनाया जा रहा है। गुलाल से किसी भी तरह से त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इसमें किसी भी केमिकल का उपयोग नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि स्वच्छता को देखते हुए और रोजगार की दृष्टि से यह गुलाल का निर्माण किया जा रहा है। अभी नगर निगम की ओर फूल दिया जा रहा है, जिसे अच्छे से सुखाकर कलर बनाया जा रहा है।