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दिल्ली: मेट्रो लूप कॉरिडोर का होगा निर्माण, नए केंद्रीय सचिवालय के दफ्तरों में पहुंच होगी आसान, डीएमआरसी ने किया करार

दिल्ली मेट्रो की पहुंच अब सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत प्रस्तावित नए केंद्रीय सचिवालय के दफ्तरों तक होगी। केंद्र सरकार के दफ्तरों को मेट्रो से जोड़ने के लिए तीन किलोमीटर में मेट्रो लूप कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। इस भूमिगत कॉरिडोर पर चार स्टेशन होंगे ताकि दफ्तर से निकलने के बाद यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए मेट्रो में सफर का मौका मिल सके।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के बीच सोमवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। मेट्रो लूप के निर्माण में डीएमआरसी तकनीकी सहायता के साथ-साथ रखरखाव भी करेगा। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मेट्रो लूप कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। निर्माण पूरा होने के बाद सुबह-शाम के व्यस्त समय में हर घंटे करीब 20 हजार यात्रियों को इससे फायदा होगा।

डीएमआरसी के निदेशक (व्यवसाय विकास) प्रमीत कुमार गर्ग और सीपीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त महानिदेशक पीएस चौहान ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह समेत दूसरे अधिकारी पर मौजूद थे। तीन किलोमीटर के मेट्रो लूप कॉरिडोर से केंद्रीय सचिवालय के चार स्टेशनों को जोड़ जाएगा ताकि दफ्तरों से निकलने के बाद अधिकारी मेट्रो में यात्रा कर सकें।

केंद्रीय सचिवालय के सभी कार्यालयों से आवागमन होगा सुगम

इस भूमिगत कॉरिडोर का निर्माण पूरा होने के बाद केंद्रीय सचिवालय के सभी दफ्तरों से आवागमन सुलभ हो जाएगा। तीन किलोमीटर के भूमिगत कॉरिडोर के निर्माण के लिए डीएमआरसी तकनीकी सहायता, प्लेटफॉर्म, सहायता और रखरखाव कार्यों को अंजाम देगा। इसके लिए डीएमआरसी, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगा। 

विस्तृत डिजाइन के लिए नियुक्त होगा सलाहकार

परियोजना के विस्तृत डिजाइन के लिए एक सलाहकार की भी नियुक्ति की जाएगी। सीपीडब्ल्यूडी बुनियादी निर्माण कार्य को पूरा करेगा जबकि डीएमआरसी, नियंत्रण, सिग्नलिंग, ट्रैक कार्य, रोलिंग स्टॉक, विद्युत, रखरखाव और डिजाइन से जुड़े कार्यों को अमली जामा पहनाएगा।

फिलहाल डीएमआरसी के 391 किलोमीटर के नेटवर्क में 286 मेट्रो स्टेशन हैं। दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के विस्तार के तौर पर तीन कॉरिडोर में करीब 65 किलोमीटर में नई लाइनों का निर्माण किया जा रहा है।

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