रायपुर: होली रंगों का त्योहार है। केमिकल गुलाल की चमक को फीका कर रहे थे, लेकिन इस साल गोबर के गुलाल से होली के त्योहार में चार चांद लग जाएगा। छत्तीसगढ़ राजधानी के रायपुर स्थित संतोषी नगर के गोठान में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से गुलाल बनाने का काम किया जा रहा है।
वर्तमान में गुलाल के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश के कई जिलों और दिल्ली से गोबर के गुलाल की डिमांड आई है। गोबर के गुलाल की मांग इस कदर बढ़ गई है कि महिला समूह को काफी श्रम करना पड़ रहा है। महिला समूह का कहना है कि गुलाल से त्वचा के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। महिला समूह द्वारा गोमय गुलाल बनाया जा रहा है।संतोषी नगर गोठान में स्वसहायता समूह की अध्यक्ष नीलम अग्रवाल ने बताया कि गोबर हर्बल गुलाल प्राकृतिक रंगों से तैयार किया जा रहा है। नगर निगम की टीम द्वारा शहर से इकट्ठा किए गए फूलों को महिला समूह की टीम ले लेती है। उसके बाद फूलों को सुखाने के बाद उसे पीसकर उसमें गोबर का पाउडर मिलाते हैं।
उसके बाद उसमें आरारोट पाउडर या कार्नफ्लोर पाउडर मिलाकर प्राकृतिक रंग जैसे चुकंदर पालक का पानी हल्दी पाउडर मिलाकर प्राकृतिक रंग दिया जाता है। उन्होंने बताया कि गोबर गुलाल पूरी तरह से हर्बल है। प्राकृतिक रंगों से तैयार किया गया है।
जानिए कैसे हो रहा अलग-अलग कलर
गुलाल को अलग-अलग कलर करने के लिए गोबर के पावडर में हरे रंग के लिए पालक या धनिया, पीले के लिए हल्दी, गुलाबी के लालभाजी, लाल के लिए चुकंदर को महीन पीस कर उसका रंग निकाला जाता है। रंग के साथ, तुलसी, चंदन, गुलाब आदि के अर्क को अरारोट या स्टार्च में डाल कर उसे सुखाया जाता है।
सूखने के बाद उसे पीस कर महीन कर दिया जाता हैं। पिसाई के बाद तैयार गुलाल को बाजार में बिक्री के लिए पैक किया जाता है। गोठान में गुलाल बना रही स्वसहायता समूह की प्रत्येक महिला एक माह में करीब 20 हजार रुपये तक की कमाई कर लेगी।
जानिए कितने में बिक रहा गुलाल
गोबर युक्त हर्बल गुलाल के लिए दिल्ली से 150 किलो, दुर्ग से 10 किलो, रायपुर से 30 किलो की मांग आई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 170 किलो गुलाल बेचा जा चुका है। गुलाल को पैक कर गोमय गुलाल नामक थैले में पैककर बेचा जा रहा है। वर्तमान में 300 रुपये किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है।
समय कम होने से लक्ष्य नहीं हो पा रहा पूरा
हर्बल गोबर से बनाया गया गुलाल गोठान में तैयार किया जा रहा है। यह हर्बल गुलाल लोगों के स्किन के लिए फायदेमंद है और बाजारों में मिलने वाले गुलाल से काफी अच्छा है। उन्होंने बताया कि इस साल हर्बल गुलाल की डिमांड बहुत अधिक है, लेकिन समय के अभाव के कारण टारगेट पूरा नहीं कर पा रहे हैं।