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Strike in Bilaspur: हड़ताल का असर, छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए दौड़ना पड़ रहा शहर

बिलासपुर। Strike in Bilaspur: वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी रायपुर में आयोजित हो रही हड़ताल में शामिल हैं। इसका प्रभाव जिले की चिकित्सकीय सुविधा पर पड़ रहा है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले एक सप्ताह से क्षेत्र के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और उप स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े हुए हैं। लिहाजा छोटी— छोटी बीमारियों के इलाज के लिए ग्रामीणों को शहर आना पड़ रहा है।

वेतन विसंगति के बाद भी कोरोना महामारी में स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई थी। तमाम जोखिम के बाद भी कोरोना मरीजों के उपचार व कोरोना को नियंत्रण में लाने के लिए दिन— रात मेहनत की थी। उनकी इस सेवा को देखते हुए ही स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कोरोना भत्ता देने के साथ वेतन बढ़ाने की घोषणा की।

वहीं इससे पहले राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों को अपने जनघोषणा पत्र में शामिल किया था। लेकिन प्रदेश सरकार बनने के तीन साल बाद भी स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों को पूरा नहीं किया गया है। ऐसे में कर्मचारी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वही अब मांग को लेकर राजधानी रायपुर में हड़ताल पर चल रहे हैं।

इसका सीधा असर जिले के स्वास्थ्य सुविधा पर पड़ गया है और ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर व उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लग गया है। ऐसे में ग्रामीणों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। लिहाजहा छोटी— छोटी बीमारियों के इलाज के लिए मीलों का सफर कर शहर आना पड़ रहा है।

ये प्रमुख केंद्र भी चल रहे हैं बंद

ग्रामीण क्षेत्र में छोटे स्वास्थ्य केंद्र तो पूरी तरह बंद हैं। वही कुछ बड़े केंद्र में भी ताला लटक रहा है, जहां रोजाना इलाज कराने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचते हैं। इन बड़े केंद्रों में उप स्वास्थ्य केंद्र छतौना, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भटगांव, उप स्वास्थ्य केंद्र हिर्री, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तखतपुर, उप स्वास्थ्य केंद्र लाखासार, उप स्वास्थ्य केंद्र जरोंधा, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर धौराभाठा के साथ कुछ अन्य प्रमुख केंद्र बंद होने का व्यापक असर पड़ रहा है।

नियमित टीकाकरण भी प्रभावित

स्वास्थ्य संयोजकों की हड़ताल का असर नियमित टीकाकरण पर भी पड़ गया है। नियमित टीकाकरण हर मंगलवार और शुक्रवार को आयोजित किया जाता है। मालूम हो कि कोरोना काल में भी बच्चों का टीकाकरण प्रभावित हुआ था। वहीं मौजूदा स्थिति में छूटे बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा था। लेकिन, हड़ताल की वजह से नियमित टीकाकरण भी प्रभावित चल रहा है।

ये चिकित्सा सुविधा हैं प्रभावित

– कोविड टीकाकरण

– बच्चों का नियमित टीकाकरण

– कोरोना निपटान

– जननी सुरक्षा योजना

– शिशु सरंक्षण माह

– संस्थागत प्रसव

– गर्भवती महिलाओं की मानिटरिंग

– दवाओं का वितरण