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इंटर्नशीप सर्टिफिकेट नहीं होने पर दे सकेंगे शपथ पत्र
इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। क्लीनिकों और अस्पतालों के पंजीयन के नवीनीकरण को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए, डाक्टरों का एक संगठन) और स्वास्थ्य विभाग आमने-सामने हो गए हैं। दरअसल क्लीनिकों के पंजीयन का हर तीन साल में नवीनीकरण कराना होता है। नियम है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पंजीयन के नवीनीकरण से पहले क्लीनिक का निरीक्षण कर रिपोर्ट देते हैं।
महामारी के दौरान कई क्लीनिकों और अस्पतालों ने पंजीयन का नवीनीकरण नहीं करवाया था। कोरोना नियंत्रित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने डाक्टरों पर क्लीनिकों के पंजीयन कराने के लिए दबाव बनाया। रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए डाक्टरों को आनलाइन फार्म भरना था। डाक्टर नवीनीकरण कराने से इंकार नहीं कर रहे लेकिन उनका कहना है कि विभाग की साइट ही काम नहीं कर रही। इधर स्वास्थ्य विभाग ने नवीनीकरण के लिए 31 मार्च की तिथि तय कर दी। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग और डाक्टर आमने-सामने हो गए।
स्वास्थ्य विभाग साइट के सही तरीके से काम करने का दावा कर रहा है तो डाक्टरों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निरीक्षण के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। इस संबंध में आइएमए के पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा भी की थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि फिलहाल निरीक्षण के बगैर ही नवीनीकरण किया जाएगा लेकिन बाद में उन्होंने फिर निरीक्षण की अनिवार्यता लागू कर दी। इसके चलते डाक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आमने-सामने हो गए हैं।
डाक्टरों को पंजीयन मामले में राहत
इधर राज्य मेडिकल कौंसिल ने डाक्टरों को एक बड़ी राहत देते हुए पंजीयन की तारीख 31 मार्च से बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दी है। डाक्टरों को इसके पहले अपना रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण कराना है। दरअसल राज्य मेडिकल कौंसिल ने प्रदेश के सभी डाक्टरों से कहा है कि वे मेडिकल कौंसिल में एक बार फिर अपना रजिस्ट्रेशन करवाएं। इसके लिए डाक्टरों को अपनी डिग्री और इंटर्नशीप का प्रमाण पत्र संलग्न करना है।
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