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अशोकनगर:पिपरई के भटोली में रहने वाली एक मजदूर की बेटी ने जिले में टाप किया है। हायर सेकंडरी की परीक्षा में कला संकाय में रीना कुशवाह ने प्रदेशभर में आठवां स्थान हासिल किया है। खास बात तो यह है कि रीना किसी कान्वेंट स्कूल में नहीं, बल्कि पिपरई कस्बे के शासकीय स्कूल की छात्रा है। रुपयों के अभाव के कारण वह वर्ष भर कोचिंग भी नहीं पढ़ पाई। परीक्षा के समय ही तीन माह के लिए कोचिंग लगाई थी। परिणाम आने के बाद रीना और उनके घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है।
भटोली गांव में रीना के पिता रवि कुशवाहा का कच्चा घर है। इनकी पांच बेटियों में रीना दूसरे नंबर की है। बेटा सबसे छोटा है। खुद रवि कुशवाहा मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इनकी बड़ी बेटी वर्षा अशोकनगर में अपनी ताई के घर रहकर पढ़ाई कर रही है। इनकी गरीबी का आलम यह है कि घर पर किसी के पास एंड्रायड मोबाइल फोन भी नहीं है। सिर्फ एक कीपैड वाला फीचर मोबाइल है। शुक्रवार को हायर सेकंडरी का परीक्षा परिणाम आने वाला है, इसकी सुबह से ही रीना को खुशी थी। क्योंकि उसे मालूम था कि पेपर अच्छे गए हैं, तो परिणाम बेहतर ही रहेगा। लेकिन रीना या उसके घर वालों को अंदाजा भी नहीं था कि उनकी बेटी प्रदेश की प्रावीण्य सूची में शीर्ष दस में आ जाएगी।
शुक्रवार को दोपहर में करीब डेढ़ बजे रीना कुशवाह अपने घर के बाहर पेड़ के नीचे बैठी थी, तभी अशोकनगर में रहने वाली उसकी बड़ी बहन वर्षा ने फोन करके उसका रिजल्ट बताया। वर्षा ने कहा कि रीना के 500 में 470 नंबर आए हैं और उसने प्रदेश में कला संकाय में आठवां स्थान हासिल किया है। इसके बाद रीना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसके साथ-साथ परिजनों की आंखें भी खुशी से छलछला उठीं। इसके बाद तो उसके पास बधाईयों के लगातार फोन आने लगे। बड़ी बात तो यह है कि रीना अपना खुद का परिणाम मोबाइल फोन पर शाम को चार बजे तक भी नहीं देख पाई। क्योंकि पिपरई कस्बा उसके घर से करीब 10 किमी दूर है और घर में एंड्रायड फोन नहीं है।
रीना बोली- आर्थिक तंगी, इसलिए आगे की पढ़ाई के बारे में सोचा नहीं
रीना कुशवाहा ने अपनी भविष्य की पढ़ाई को लेकर अभी सोचा नहीं है। उससे जब इस बारे में पूछा गया, तो वह कुछ देर के लिए तो ठहर गई, फिर बढ़े ही दबे शब्दों में कहा कि घर की स्थिति ठीक नहीं है। पैसों की कमी है। ऐसे में अगर पापा मुझे पढ़ाएंगे, तो पढ़ लूंगी।
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