बीते वर्ष कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने के बाद पोस्ट कोविड से जुड़े मामले गंभीर होने की आशंका है। वैज्ञानिक तौर पर इसे साबित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विशेषज्ञों ने एक चिकित्सीय अध्ययन भी शुरू किया है। इसके तहत 1300 से भी अधिक लोगों को अध्ययन में शामिल किया जाएगा।
नई दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के इस अध्ययन को क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरआई) पर पंजीयन भी मिला है। डॉक्टरों का कहना है कि साल 2020 में जब पहली बार कोरोना महामारी सामने आई तो उस दौरान एम्स सहित कुछ संस्थानों ने पोस्ट कोविड मामलों को लेकर चिकित्सीय अध्ययन किया था। जबकि पहली से ज्यादा घातक लहर दूसरी बार आई जब डेल्टा वेरिएंट की वजह से अस्पतालों में भर्ती दर और मृत्युदर कई गुना बढ़ी।
इस दौरान जो लोग कोरोना से ठीक हुए उनमें से कई लंबे समय तक वायरस का प्रभाव झेल रहे हैं। एमएएमसी के वरिष्ठ डॉ. एमएम सिंह ने बताया, इन्हीं लोगों के बारे में जानने और डेल्टा वेरिएंट का पोस्ट कोविड से जुड़ाव पता करने के लिए यह अध्ययन किया जा रहा है। पंजीयन के लिए भेजे आवेदन में बताया गया है कि अभी तक दूसरी लहर के बाद पोस्ट कोविड को लेकर देश में किसी भी चिकित्सीय अध्ययन के सामने आने की जानकारी नहीं है।
- डॉक्टरों ने कहा, संक्रमण की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट का असर था सबसे अधिक
- इसलिए पोस्ट कोविड प्रभाव भी गंभीर मिलने की आशंका
अभी तक वैज्ञानिक साक्ष्य बेहद कम
डॉक्टरों ने बताया कि पोस्ट कोविड को लेकर चिकित्सा के पास साक्ष्य बेहद कम हैं। कई लोग संक्रमण से ठीक होने के बाद सिर में दर्द, छाती में भारीपन, कमजोरी, थकान, नींद न आना जैसी शिकायतें कर रहे हैं। वहीं कई लोग पैरों में दर्द, हथेली में खिचाव, टीबी, मलेरिया, गले में लंबे समय तक दर्द रहने इत्यादि लक्षणों का सामना कर रहे हैं।
एक्सपायरी में 60 फीसदी से कम वक्त वाली दवाओं का जारी रहेगा आयात
कोरोना महामारी के चलते सरकार ने एक्सपायरी में 60 फीसदी से कम वक्त वाली दवाओं का आयात आगे भी जारी रखने का फैसला लिया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने आदेश जारी किया है कि यह नियम आगामी 31 अक्तूबर तक या फिर अग्रिम आदेश तक लागू रहेगा। आदेश पत्र में भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ. वीजी सोमानी ने कहा कि बीते वर्ष 13 सितंबर को उन दवाओं की सशर्त आयात की अनुमति दी थी।