कानपुर में मेडिकल पेशे की शुरुआत में ही भावी डॉक्टर तनाव की गिरफ्त में आ रहे हैं। उन्हें अवसाद और चिंता (एंजाइटी) ने जकड़ लिया है। शनिवार को ब्वायज हॉस्टल (बीएच)-5 में लगे चिकित्सा शिविर में जांच की गई तो 80 फीसदी छात्र-छात्राओं में तनाव मिला है। इनमेें से 70 फीसदी ऐसे रहे जिनमें चिंता का स्तर अधिक पाया गया।
10 छात्र ऐसे मिले जिनमें रोग की जटिलताएं बढ़ रहीं थीं। मेडिविजन कानपुर प्रांत और मेडिकल कॉलेज की आरोग्य कमेटी के बैनर तले ब्वॉयज हॉस्टल-5 में पहली बार स्वास्थ्य एवं मानसिक परीक्षण शिविर लगाया गया। इसमें एमबीबीएस प्रथम वर्ष के नए बैच पैरा-2 के 120 छात्र-छात्राओं की जांच की गई।
इनमें 65 ऐसे हैं, जो तनाव में हैं। 15 छात्र-छात्राओं में हाई ब्लड प्रेशर पाया गया। तीन छात्रों में हाई ब्लड शुगर मिला है। तीन छात्रों की हृदय की धड़कन अनियमित रही है। 10 बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य अधिक खराब मिला। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने इनकी काउंसलिंग की व्यवस्था कर दी है।
साथ ही स्थिति के मद्देनजर छात्र-छात्राओं के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए डॉ. सीमा द्विवेदी को नोडल अधिकारी बनाया है। साथ ही योग, प्राणायाम, खेलकूद की व्यवस्था कराई गई। शिविर के लिए मेडिसिन, मनोरोग, दंत रोग, अस्थि रोग समेत पांच विभागों के पांच-पांच डॉक्टरों की टीम बनाई गई थी।
घर छोड़ने और नए माहौल से तनाव
प्राचार्य डॉ. काला ने बताया कि घर से दूर होने की वजह से बच्चों में अलग होने की चिंता रहती है। यह एक-दो साल तक रहती है। इसके अलावा पढ़ाई और नए माहौल का भी तनाव रहता है। बच्चों को दिलासा देने के साथ उनके योग, प्राणायाम, खेलकूद की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए नोडल अधिकारी नामित कर दिया गया है।