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Lucknow news : पिटबुल ने रिटायर शिक्षिका को नोंचकर मार डाला, बेटा है जिम ट्रेनर, बलरामपुर अस्पताल में हुई मौत

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लखनऊ में कैसरबाग के बंगाली टोला निवासी सुशीला त्रिपाठी (82) को उनके घर में पल रहे पिटबुल ने मंगलवार सुबह नोंचकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। परिजनों ने उनको इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उनकी मौत हो गई। अस्पतालकर्मियों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।  देर शाम को शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है।

कैसरबाग के बंगाली टोला में सुशीला त्रिपाठी परिवार के साथ रहती हैं। परिवार में उनके अलावा बेटा व कई अन्य लोग हैं। एक नौकरानी भी घर में ही रहती है। बेटा अमित त्रिपाठी अलीगंज स्थित एक जिम में ट्रेनर है। घर में दो पालतू स्वान  हैं। एक लैब्राडोर है तो दूसरा खूंखार पिटबुल प्रजाति का है। मंगलवार सुबह बेटा अमित जिम चला गया। वहीं सुशीला कुत्तों को छत पर टहला रही थी। इसी बीच अचानक से पिटबुल उन पर हमलावर हो गया। उसने काटना शुरू किया। बुजुर्ग सुशीला अपनी जान बचाने केलिए चीख रही थी। इधर-उधर भाग रहीं थी। लेकिन पिटबुल के चंगुल से वह बच  नहीं सकी। पिटबुल ने उनके शरीर पर कई जगह वार किया। पिटबुल ने पेट, सिर, चेहरा, पैर और हाथ में कई जगह अपने जबड़े से नोंच लिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।

नौकरानी ने दी बेटे को सूचना
सुबह के समय जब सुशीला पर हमला हुआ तो घर पर केवल नौकरानी थी। सुशीला को चीखते देख वह छत पर गई। उसने सुशीला को खून से लथपथ देखकर उनके बेटे अमित को सूचना दी। अमित जिम से वापस आया। उसने तत्काल सुशीला को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उनका इलाज शुरू किया गया। वहीं कुछ देर बाद डॉक्टरों ने सुशीला को मृत घोषित कर दिया। परिवारीजन शव बिना पोस्टमार्टम के ले जाना चाहते थे। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना दे दी। मौके पर पहुंची चौक पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा और पोस्टमार्टम के लिए शव भेज दिया। सुशीला त्रिपाठी नारी शिक्षा निकेतन में बतौर शिक्षिका तैनात रही। इस मामले में परिजन कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। पति आरएन त्रिपाठी की काफी पहले मौत हो चुकी है। 

शरीर पर मिले 13 बड़े घाव के निशान
मृतका रिटायर शिक्षिका सुशीला त्रिपाठी के शव का पोस्टमार्टम देर शाम को किया गया। पोस्टमार्टम में उनके चेहरे, पेट, सिर के पिछले हिस्से, दोनों हाथ और जांघ पर 13 जगह कुत्ते के नोंचने के निशान मिले। जब बलरामपुर से ट्रामा सेंटर पहुंचाई गई तो उनकी मौत हो चुकी थी। शरीर में सिर और पेट पर पट्टी बंधी थी। इन बड़े 13 चोटों के अलावा कई जगह शरीर पर खरोंच के निशान भी मिले है। इससे साफ जाहिर है कि सुशीला ने पिटबुल से खुद को बचाने के लिए काफी संघर्ष किया है। मेडिकल कालेज चौकी प्रभारी सत्यपाल सिंह के मुताबिक शिक्षिका मृत हालत में ट्रामा सेंटर लाई गई थी। ढाई बजे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। हालांकि देर रात तक इस मामले में पुलिस को सूचना नहीं दी गई थी। 

खतरनाक है पिटबुल प्रजाति, कई देशों में पालने पर रोक
पशु चिकित्सक डा. अभिनव वर्मा कहते हैं कि पिटबुल खतरनाक श्रेणी का श्वान माना जाता है। इसको लेकर यह जर्मन आदि कई देशों में प्रतिबंधित है। वहां पर इसकेपालने पर रोक है मगर अपने यहां ऐसा नहीं है। यहां अभी पालने पर प्रतिबंध नहीं है। इस कारण श्वान पालने का लाइसेंस भी जारी किया जाता है। नगर निगम की ओर से जो 23 पिटबुल लाइसेंस जारी हुए हैं उनमें इंदिरा नगर और गोमती नगर के ज्यादा हैं।

पालूत है तो यह न सोंचे कि कुछ करेगा नहीं
पशु चिकित्सक डा. अभिनव वर्मा कहते हैं कि पिटबुल या राट विलर प्रजाति के श्वान खतरनाक होते हैं। इनको कब किस बात पर गुस्सा आ जाए कुछ कहां नही जा सकता। ऐसे में जरूरी है कि श्वान पालक उसकेव्यवहार पर नजर रखे। यदि उसके व्यवहार में बदलाव दिखे तो उसके पास नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह गुस्सा होने पर अपने मालिक पर ही हमला कर देते हैं। ऐसे पालूतों श्वानों केपास तभी जाए जब वह जंजीर से बंधे हों।

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