सार
कानपुर के यशवर्धन सिंह सामान्य बच्चों से अलग हैं। यशवर्धन के पिता डॉ. अंशुमन सिंह बेटे की अच्छी आईक्यू के कारण उसे सीधे कक्षा नौ में दाखिला दिलाना चाहते हैं। पहले स्थानीय स्तर पर प्रयास किया, लेकिन नियमों के कारण ऐसा नहीं हो सका। फिर उन्होंने शिक्षा निदेशक को आवेदन दिया है।
यशवर्धन सिंह – फोटो : Lok Nirman Times
विस्तार
11 साल के यशवर्धन सिंह एनडीए, सिविल सेवा और एसएससी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों को कोचिंग देते हैं। इनकी इस प्रतिभा को देखकर हर कोई असमंजस में पड़ जाता है कि इतनी कम उम्र के बच्चे को इतनी बेहतर जानकारी कैसे है।
यश के पिता डॉ. अंशुमन सिंह बेटे की अच्छी आईक्यू के कारण उसे सीधे कक्षा नौ में दाखिला दिलाना चाहते हैं। पहले स्थानीय स्तर पर प्रयास किया, लेकिन नियमों के कारण ऐसा नहीं हो सका। फिर उन्होंने शिक्षा निदेशक को आवेदन दिया है।
शिवकटरा, लाल बंगला के रहने वाले यशवर्धन सिंह कृष्णानगर स्थित रघुकुल स्कूल में कक्षा छह में पढ़ते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों को कोचिंग और ऑनलाइन माध्यम से वह भारतीय प्राचीन इतिहास, राज व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय संबंध और भूगोल पढ़ाते हैं।
1857 की क्रांति से लेकर विदेशों में हुईं घटनाएं इनकी जुबान पर रटी हैं। उन्होंने बताया कि वह रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करते हैं। स्कूल के होमवर्क को समय निकाल वहीं खत्म करके आना और घर में अतिरिक्त विषयों की पढ़ाई करना इनकी दिनचर्या में शामिल है।
उन्होंने बताया कि 2018 में एक लेख में पढ़ा था कि भारत को विश्व गुरु बनने के लिए आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) अधिकारियों की जरूरत हैं। उसी दिन यह सोच लिया था कि कुछ ऐसा करना है कि जिससे अधिकारियों की कमी दूर कर सकूं।
वह भविष्य में आईएफएस अधिकारी बनकर यूनाइटेड नेशन में भारत का नेतृत्व करना चाहते हैं। वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और किताबों से खुद तैयारी करते हैं, फिर पढ़ाते हैं। पुलिस विभाग में एएसपी राजेश पांडेय और सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. सिद्धार्थ अरोड़ा पढ़ाई में इनका मार्गदर्शन करते हैं। बड़ी बहन आनवी सिंह कक्षा आठ की छात्रा हैं, वह भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती हैं। पिता डॉ. अंशुमन सिंह फिजियोथेरेपिस्ट और मां कंचन पाल सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं।