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Electricity: यूपी में बिजली सुधार के दावों की खुली पोल, रेटिंग में गुजरात और हरियाण की कंपनियां शीर्ष पर

सार

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को सी ग्रेड और पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों व केस्को को सी माइनस ग्रेड मिला है। सरकारी बिजली कंपनियां 9वीं वार्षिक रेटिंग के मुकाबले और नीचे खिसक गई हैं। 

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर –

विस्तार

प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार के भले ही लंबे-चौड़े दावे किए जा रहे हों, पर वितरण कंपनियां केंद्र सरकार की कसौटी पर खरी नहीं उतर पा रही हैं। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की ओर से देश भर की सरकारी व निजी बिजली कंपनियों की 2020-21 की 10वीं वार्षिक रेटिंग में प्रदेश की एक भी सरकारी बिजली कंपनी ए प्लस, ए, बी प्लस व बी ग्रेड हासिल नहीं कर पाई हैं।

रेटिंग में सिर्फ निजी कंपनी नोएडा पावर कंपनी लि. (एनपीसीएल) को ही ए प्लस रेटिंग मिली है। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को सी ग्रेड और पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों व केस्को को सी माइनस ग्रेड मिला है। सरकारी बिजली कंपनियां 9वीं वार्षिक रेटिंग के मुकाबले और नीचे खिसक गई हैं। 

रेटिंग में प्रदेश की बिजली कंपनियों की आपूर्ति से लेकर वित्तीय एवं प्रबंधकीय परफॉर्मेंस को संतोषजनक नहीं माना गया है। इसका असर केंद्र से मिलने वाली आर्थिक सहायता के साथ-साथ बिजली कंपनियों द्वारा वित्तीय संस्थाओं से लिए जाने वाले ऋण पर भी पड़ सकता है। 

इससे कंपनियों को मिलने वाले ऋण के ब्याज दर में इजाफा हो सकता है। इसका असर भविष्य में उपभोक्ताओं पर बिजली दरों में वृद्धि के रूप में पड़ सकता है। लगातार 10वें साल की रेटिंग में भी यूपी की बिजली कंपनियों का प्रदर्शन दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी निराशानजक रहा है। 

रेटिंग में गुजरात और हरियाण की कंपनियां शीर्ष पर

विद्युत मंत्रालय और विद्युत वित्त निगम (पीएफसी) की ओर से जारी 52 बिजली कंपनियों की रेटिंग में गुजरात, दादरा और नगर हवेली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र की बिजली कंपनियां रेटिंग में शीर्ष पर हैं। वहीं प्रदेश की सरकारी कंपनी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम मेरठ सी ग्रेड के साथ 29वें पायदान पर है। पिछले साल यह बी प्लस ग्रेड के साथ 18वें पायदान पर थी। 

दक्षिणांचल वितरण निगम, केस्को, मध्यांचल वितरण निगम और पूर्वांचल वितरण निगम सी माइनस ग्रेड के साथ क्रमश: 35वें, 36वें, 42वें और 44वें पायदान पर हैं। पिछली बार केस्को व मध्यांचल वितरण निगम बी ग्रेड के साथ क्रमश: 22वें व 24वें और पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम सी प्लस ग्रेड के साथ क्रमश: 27वें व 29वें पायदान पर थे। हालांकि निजी क्षेत्र की कंपनी एनपीसीएल ए प्लस ग्रेड के साथ रेटिंग में सातवें पायदान पर रही। 

रेटिंग के लिए तय मानक
केंद्र ने परिचालकीय (ऑपरेशनल) एवं वित्तीय (फाइनेंशियल) प्रदर्शन के मानकों पर बिजली कंपनियों की ग्रेडिंग की है। इसमें कंपनियों को मिली वित्तीय सहायता, बिजली की आपूर्ति और उसके एवज में की जाने वाली वसूली का औसत, लाइन हानियां, नियामक गतिविधियां, ऑडिटेड अकाउंट, बैंकों व वित्तीय संस्थाओं की देनदारियां, वैकल्पिक ऊर्जा खरीदने की अनिवार्यता का अनुपालन समेत कई बिंदु रेटिंग के मानक हैं। 

इस तरह होती है ग्रेडिंग
मूल्यांकन में 85 या उससे ज्यादा नंबर पाने वाली कंपनी को काफी अच्छा परिचालकीय व वित्तीय प्रदर्शन मानते हुए ए प्लस ग्रेड दिया जाता है। 65 से 85 नंबर तक ए ग्रेड, 50 से 65 नंबर तक बी ग्रेड, 35 से 50 नंबर तक बी माइनस ग्रेड, 15 से 35 नंबर तक सी ग्रेड तथा 15 नंबर से कम को बेहद खराब परिचालकीय एवं वित्तीय प्रदर्शन मानते हुए सी माइनस ग्रेड दिया जाता है।

बिजली कंपनियों में शीर्ष प्रबंधन की जवाबदेही तय हो : वर्मा

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्र की रेटिंग में प्रदेश की बिजली कंपनियों के पूरी तरह फेल होने के लिए प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि रेटिंग के नतीजों से साफ है कि प्रबंधन कंपनियों की हालत सुधारने में नाकाम रहा है। सुधार के दावों की पोल खुल गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि बिजली कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन की जवाबदेही तय करते हुए बेहतर नतीजे न देने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।