सार
यह डिवाइस संबधित के नंबर से कनेक्ट होगी। इसका प्रमुख बटन बाहर होगा जिसको सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर जोड़ा गया है जिससे तुरंत कॉल चली जाएगी। वहीं दो ब्लैंक गोलियां भी होंगी जिनका प्रयोग करने पर बंदूक जैसी आवाज निकलेगी तो आसपास के लोग सजग हो जाएंगे।
विस्तार
नवाचार व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा मंत्रालय व एआईसीटीई के इनोवेशन सेल की ओर से सोमवार को इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल की 15वीं रीजनल मीट का आयोजन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में किया गया। इसमें युवाओं व आम लोगों ने कई प्रमुख इनोवेटिव आइडिया का मॉडल प्रस्तुत किया।
मेरठ के इनोवेटर श्याम चौरसिया ने महिलाओं के लिए एक खास पर्स, सैंडल व झुमका बनाया है जिससे गोली की तरह आवाज होने के साथ ही आपात स्थिति में परिवारीजनों को कॉल भी चली जाएगी। उन्होंने बताया कि यह संभव होगा ब्लू टूथ डिवाइस से। यह डिवाइस संबधित के नंबर से कनेक्ट होगी और इसमें चार फोन नंबर सेट किए जा सकते हैं। इसका प्रमुख बटन बाहर होगा जिसको सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर जोड़ा गया है जिससे तुरंत कॉल चली जाएगी। वहीं दो ब्लैंक गोलियां भी होंगी जिनका प्रयोग करने पर बंदूक जैसी आवाज निकलेगी तो आसपास के लोग सजग हो जाएंगे।
छात्रा ज्योति सिंह और प्रदीप साहू ने एक खास चश्मा बनाया है जिससे पहनकर गाड़ी चलाने पर जैसे ही नींद आएगी तो उससे तेज अलार्म बज उठेगा। साथ ही मुंह पर पानी का स्प्रे भी होगा। ज्योति ने बताया कि यह चश्मे में लगी एक डिवाइस अलार्म और स्प्रे बॉटल से कनेक्ट रहेगी। इस स्मार्ट ड्राइविंग ग्लास को एमीटर और रिसीवर तकनीक से बनाया गया है।
वहीं मेरठ के ही इनोवेटर सुशील और विवेक पटेल ने कोल्हू की तर्ज पर एक खास तरह की मशीन बनाई है। जो बिना किसी खर्चे के बैलों के जरिये बिजली बनाएगी। इसमें गियर बॉक्स पेटेंट प्लाई व्हील से 1600 आरएमपी पर घर्षण से ऊर्जा पैदा करेगा, जो बिजली में कनवर्ट होगी। उन्होंने बताया कि इससे एक घंटे में लगभग 15 यूनिट बिजली पैदा होगी। वहीं बेसहारा घूमने वाले पशुओं का भी सही प्रयोग हो सकेगा। इस मशीन की लागत लगभग एक लाख रुपये है।
एकेटीयू : नंबर और ग्रेड की अंधी दौड़ से निकलकर कुछ नया सोचें
एकेटीयू में आयोजित आईआईसी की 15वीं रीजन मीट के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि चीफ इनोवेशन ऑफिसर अभय जेरे ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है। बड़ी कंपनियां अब स्थायी नौकरी देने की बजाय प्रोजेक्ट आधारित काम ले रही हैं। जब तक युवा नवाचारी और औरों से अलग नहीं सोचेगा, उसके लिए अवसर कम होते जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बच्चों को नंबर और ग्रेड की अंधी दौड़ से मुक्त करते हुए कुछ नया सोचना होगा। कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में नवाचार और उद्यमिता को लेकर इको सिस्टम बन रहा है। संसाधन भी पर्याप्त हैं, बस जरूरत है हमें कुछ अलग सोचने और करने की। डिग्री से ज्यादा अब काबिलियत की आवश्यकता है। कार्यक्रम में नवाचार व स्टार्टअप पर आधारित स्टॉल व प्रदर्शनी भी लगाई गई। असिस्टेंट इनोवेशन डायरेक्टर दीपन साहू, प्रति कुलपति प्रो. मनीष गौड़, डीन इनोवेशन हब प्रो. संदीप तिवारी, कुलसचिव सचिन सिंह, डॉ. अनुज शर्मा आदि मौजूद रहे।