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एक लाख छात्रों को मिलेगी राहत, पेपर्स की जांच के लिए बनी कमेटी

सीएसजेएमयू

कानपुर में परीक्षा परिणाम में लगातार गड़बड़ियां सामने आने पर छत्रपति शाहू जी महाराज विवि प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। कई कोर्सों के परिणाम दोबारा जारी किए जाने की तैयारी है। इससे एक लाख छात्रों को राहत मिलेगी। वहीं, दो विषयों के पेपरों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। यह एक हफ्ते में रिपोर्ट देगी, जिसके बाद परिणाम संशोधित किए जाएंगे।
विवि ने इस साल नई शिक्षा नीति जारी की थी। इसके तहत सेमेस्टर प्रणाली लागू कर परीक्षाएं कराई गई थीं। डिजिटल मूल्यांकन भी हुआ था। इस कारण परिणाम में तरह-तरह की खामियां सामने आई हैं। अंकपत्रों में इनकंप्लीट, इन, अनुपस्थित लिखकर कर आ रहा है।
कोरोना काल में पेपर देने और प्रमोट होने वाले स्नातक और परास्नातक के छात्र भी कम नंबर को लेकर परेशान हैं। बीएससी भौतिक और रसायन विज्ञान के छात्र भी कम अंक मिलने की शिकायत कर चुके हैं। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि छात्रों  की शिकायत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। किसी भी छात्र का अहित नहीं होगा।

पेपर कितना कठिन था, जांच करेगी कमेटी
बीएससी फिजिक्स और केमिस्ट्री के प्रश्नपत्रों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। केमिस्ट्री की कमेटी में डॉ. सुधीर श्रीवास्तव, क्राइस्ट चर्च कॉलेज की डॉ. मीतकमल द्विवेदी और बीएनडी की डॉ. रीता अवस्थी व फिजिक्स की कमेटी में डॉ. पीएस डोबाल, बीएनडी के एके अग्निहोत्री और डीबीएस की डॉ. प्रज्ञा अग्रवाल हैं। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही फैसला लिया जाएगा कि पेपर कितना कठिन था और छात्रों को कितने अंक दिए जाएं।

फेल छात्रों को प्रमोट करने की तैयारी
कोरोना काल में प्रमोट होने वाले छात्रों की अलग-अलग समस्याएं थीं। कुछ ऐसे छात्र थे, जिन्होंने कोरोना काल में एक पेपर दिया, फिर उनको दूसरे साल के लिए प्रमोट किया गया। दूसरे साल में पेपर देकर तीसरे साल में आए गए। कोरोना काल में आदेश दिए गए थे कि छात्रों को दिए गए एक पेपर के आधार पर ही अंक दिए जाएंगे।

समस्या तब हुई जब पहले साल में छात्र फेल हो गए और बाकी दोनों साल में पास थे। ऐसे छात्रों की मार्कशीट अटकी थी। विवि ने समस्या को देखते हुए सभी को प्रमोट करने की तैयारी में है। जल्द ही मामला परीक्षा समिति में रखा जाएगा और उस पर मुहर लगेगी।

परास्नातक छात्रों को राहत मिलेगी
कोरोना काल में परास्नातक वर्ग में पहले साल प्रमोट होकर दूसरे साल में आने वाले छात्रों को आश्वासन दिया गया था कि दूसरे साल के अंक के आधार पर ही अंक दिए जाएंगे। लेकिन परिणाम में दूसरे साल में 61 फीसदी लाने वाले छात्र को पहले साल में 47 फीसदी ही अंक मिले। ऐसे हजारों छात्र थे। कुलपति ने बताया कि परिणाम में प्रैक्टिकल के अंकों को शामिल नहीं किया गया था। इन अंकों को शामिल कर दोबारा परिणाम जारी किया जाएगा।

कम हो सकती है बैक पेपर फीस
बैक पेपर के लिए प्रति पेपर 500 रुपये रखी गई है। कई दोनों सेमेस्टर में कई छात्रों की चार से पांच विषयों में बैक लगी है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्र फीस भर पाने में असमर्थ हैं। कुलपति ने फीस कम करने आ आश्वासन दिया है। कहा कि जल्द ही समिति में इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।