राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर वृहद बनारस परिक्षेत्र बनाने की शासन स्तर पर तैयारी की जा रही है। वाराणसी के साथ आजमगढ़, मिर्जापुर और प्रयागराज मंडल के 12 जिलों को समाहित करते हुए वृहद बनारस की परिकल्पना को साकार किया जाएगा।
वृहद बनारस परिक्षेत्र के मसौदे को धरातल पर उतारने के लिए शासन स्तर पर चार से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं। बनारस को पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजधानी की तरह विकसित करने की तैयारी है। इसकी योजना तैयार की जा रही है। महानगर का स्वरूप ले चुकी काशी में रोजगार की तेजी से बढ़ रही संभावनाओं और आबादी के दबाव को देखते हुए इस परिक्षेत्र की रूपरेखा बनाई जा रही है।
चार मंडलों के जिलों की सीमा को जोड़कर विशेष प्लान तैयार किया जा रहा है। पूरे परिक्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार विशेष पैकेज पर भी विचार कर रही है। इसमें आवासीय, औद्योगिक, व्यावसायिक विकास सहित अन्य पहलुओं पर संभावनाएं तलाशी जाएंगी। इसके लिए चारों मंडलायुक्त और 12 जिलों के जिलाधिकारियों की एक विशेष टीम भी गठित की गई है। संबंधित जिलों में विकास की संभावनाओं पर प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। साथ ही उन्हें जमीन पर उतारने की तैयारी की जा रही है।
वृहद बनारस में शामिल होेंगे ये जिले ः वृहद बनारस में वाराणसी के साथ मंडल के चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ मंडल के आजमगढ़, मऊ व बलिया, मिर्जापुर मंडल के मिर्जापुर, भदोही व सोनभद्र और प्रयागराज के प्रयागराज व प्रतापगढ़ जिले शामिल होंगे।
nपांच दशक की विकास संभावनाओं पर बन रहा प्रस्ताव : वृहद बनारस परिक्षेत्र में मजबूत कनेक्टिविटी के लिए इन शहरों को मेट्रो सेवा से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। सड़कों की मजबूत कनेक्टिविटी के अलावा आसपास के जिलों में आवासीय क्षेत्र विकसित करने का भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वाराणसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वृहद बनारस के जिलों में अलग-अलग सुविधाएं विकसित की जाएंगी। पांच दशक की विकास संभावनाओं पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।