इन 5 ज़िलों के वजह से दिल्ली में बढ़ रहा वायु प्रदुषण
October 22, 20222 Views
मौसम और हवा की दिशा में बदलाव की वजह से दिल्ली की हवा दमघोंटू हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पांच जिले- रोहतक, झज्जर, सोनीपत, बागपत और गाजियाबाद में प्रदूषण स्तर काफी बढ़ गया है। इन जिलों की वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत ज्यादा बिगड़ गई है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रारंभिक चेतावनी पूर्वानुमान मॉडल के अनुसार, पड़ोसी धान उत्पादक राज्यों में पराली जलने की घटनाओं में वृद्धि के साथ अगले पांच दिनों में स्थिति के और बिगड़ने की आशंका है।
वर्तमान में पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलने वाली पराली के कारण दिल्ली की हवा में धुएं का योगदान फिलहाल 3.29 फीसदी (शुक्रवार तक) कम है। मंत्रालय के पूर्वानमुान के अनुसार, अब से पांचवें दिन यानी दीवाली के ठीक बाद, जब पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाए जाएंगे, इससे धुएं में इजाफा होगा, तब इसके 10 से 12 प्रतिशत तक जाने की उम्मीद है।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे के वैज्ञानिकों ने पिछले साल रीयल टाइम प्रदूषण निगरानी मॉडल निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) को विकसित किया है ताकि विभिन्न प्रदूषण स्रोतों के योगदान की पहचान करने में मदद मिल सके जिससे दिल्ली-एनसीआर की एजेंसियां सटीक निर्णय ले सकें। आईआईटीएम का कहना है कि हवा की दिशा उत्तर से उत्तर-पश्चिम में बदलने से इन पांच जिलों से निकलने वाला धुंआ, दिल्ली पहुंच रहा है। इन जिलों को भारी औद्योगिक प्रदूषण के लिए जाना जाता है।
एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, साल के इस समय के दौरान जब हवा की दिशा दक्षिण से दक्षिण पूर्व (जब मानसून वापस जाता है) से उत्तर से उत्तर-पश्चिम में बदल जाती है तब दिल्ली में प्रदूषण जमा होना शुरू हो जाता है। यह स्थानीय प्रदूषण के साथ मिलकर वायु की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनता है। इन जिलों से प्रदूषण का योगदान अगले पांच दिनों में 20-22 प्रतिशत तक जाने की संभावना है। इसके अलावा पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के साथ-साथ इसमें दिवाली के बाद के प्रदूषण के भी जुड़ने की संभावना है। इससे दिल्ली के प्रदूषण स्तर में एक बड़ा उछाल आ सकता है, जिससे राजधानी धुएं की चादर में लिपटी हुई दिख सकती है।
रोहतक, बागपत और गाजियाबाद जैसे इन पांच जिलों को सबसे प्रदूषित शहरों के रूप में जाना जाता है। यहां के कुछ उद्योगों में गंदे ईंधन के निरंतर उपयोग, डीजल से चलने वाले वाहनों की अधिक मात्रा और अन्य ज्वलन (कंबशन) स्रोतों का उपयोग किया जाता है जिससे प्रदूषण बढ़ता है। हालांकि इन क्षेत्रों में थोड़ा सुधार हुआ है। दिल्ली-एनसीआर और आसपास के राज्यों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने इनमें से प्रत्येक शहर के लिए उत्सर्जन में कटौती करने के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए हैं।