इन्हीं चर्चाओं को संकलित कर आम जन-मानस के सामने पहुंचाने के लिए अमर उजाला ने सोमवार को शिवबाबा परिसर में अपने सियासी अड्डा कार्यक्रम का आयोजन किया। समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों की एक आम राय यह उभर कर आयी कि जीत के बाद नेताओं का रवैया बदल जाना सबसे ज्यादा चिंताजनक है। इस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है।
लोगों का कहना था कि बुनियादी विकास की तरफ जो ध्यान देने की जरूरत रहती है, वह जनप्रतिनिधियों द्वारा उपेक्षित कर दिया जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि बड़े-बड़े वादे करने के बजाए लोगों की छोटी-छोटी जरूरतें पूरी की जाएं। सरकारी दफ्तरों में होने वाली मनमानी रोकी जाए ताकि आम लोगों को उनका हक मिल सके।
प्रत्याशियों को इस बारे में स्पष्ट कार्य योजना बनानी पड़ेगी, तभी वे आम लोगों का दुख-दर्द दूर कर सकेंगे। चर्चा में यह बात भी उभर कर सामने आयी कि जनप्रतिनिधियों द्वारा अक्सर जातीय भेदभाव शुुरू कर दिया जाता है। यह अत्यंत अनुचित रवैया होता है। इससे सभी राजनीतिक दल के प्रत्याशियों को बचने की जरूरत है।
चर्चा के दौरान कहा गया कि जिले में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं जिन्हें भव्य पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे न सिर्फ संबंधित स्थलों में निखार आएगा, वरन वहां आम लोगों की आमद भी बढ़ सकेगी। संबंधित धार्मिक स्थलों की ख्याति भी दूर-दूर तक फैलेगी और इससे नजदीकी लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
शिक्षा, स्वास्थ्य व सड़क आदि मामलों में भी जनप्रतिनिधियों के शिथिल रवैए को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई। लोगों का यह भी कहना था कि मतदान के प्रति शहरी व ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में और ज्यादा जागरूकता लाए जाने की जरूरत है। जनप्रतिनिधियों को ईमानदारी, वचनबद्धता व न्यायप्रियता की तरफ भी पर्याप्त ध्यान देना होगा।