मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 1,300 करोड़ रुपये के किंगफिशर एयरलाइंस-आईडीबीआई बैंक मामले में फरार शराब कारोबारी विजय माल्या तथा अन्य के खिलाफ मंगलवार को यहां एक विस्तृत आरोप-पत्र दाखिल किया। 1,000 पन्नों से अधिक के आरोप-पत्र में आरोप लगाया गया है कि माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को तय प्रक्रिया का पालन किए बिना दिए गए ऋण से सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक को भारी नुकसान हुआ।
आरोप-पत्र में कहा गया है कि आईडीबीआई बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से किंगफिशर एयरलाइंस ऋण लेने में कामयाब रहा और ऋण के कुछ हिस्से का ‘व्यक्तिगत इस्तेमाल’ किया गया।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि बैंक के पूर्व अध्यक्ष योगेश अग्रवाल सहित बैंक के अन्य अधिकारियों द्वारा यह मामला ‘ओमिशन एंड कमीशंस’ का है और कहा कि खराब क्रेडिट रेटिंग तथा कंपनी की गिरती वित्तीय हालत के बावजूद किंगफिशर को ऋण दिया गया।
सीबीआई ने कहा कि मामले की आगे जांच जारी है और माल्या के खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया है, जिसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया जारी है।
इसके अलावा, उसने (सीबीआई) सिंगापुर तथा ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड को लेटर्स रोगेटरी (जानकारी पाने के लिए विदेशी अदालतों से आग्रह को लेकर दस्तावेज) भेजा है, ताकि उनके देशों में किंगफिशर एयरवाइंस के बैंक खातों की विस्तृत जानकारी पाई जा सके।
उनकी हिरासत की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि वे प्रभावशाली व्यक्ति हैं और भगोड़े माल्या की तरह देश छोड़कर भाग सकते हैं और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
आरोपी की तरफ से पेश हुए वकील अमित देसाई तथा राजीव चव्हाण ने अपने मुवक्किल की अंतरिम जमानत की मांग की।
सीबीआई के अभियोजक भरत बदामी ने जमानत याचिका पर सीबीआई का जवाब दाखिल करने के लिए सोमवार तक समय मांगा। विशेष अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 30 जनवरी मुकर्रर की है।