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चालबाज ड्रैगन पर अंकुश के लिए पीएम मोदी की पापुआ न्यूगिनी यात्रा बेहद अहम

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पापुआ न्यू गिनी यात्रा कुछ मायने में ऑस्ट्रेलिया और जापान की तुलना में ज्यादा अहम मानी जा रही है। दरअसल, भारत की तुलना में बेहद छोटा-सा यह द्वीप राष्ट्र संसाधनों के मामले में तो समृद्ध है ही, भौगोलिक स्थिति के कारण भी खास अहमियत रखता है। चीन ने रणनीतिक रूप से खुद को मजबूत करने के लिए पिछले कुछ सालों से इस द्वीप राष्ट्र पर नजरें टिका रखी हैं। दोनों देशों के बीच नजदीकी भारत-प्रशांत क्षेत्र के पूरे रणनीति ढांचे के लिए चुनौतियां बढ़ाने वाली है। अब, मोदी की यात्रा से पापुआ न्यू गिनी में चीन के बढ़ते दबदबे पर अंकुश लगने की उम्मीद है।

चीन ने अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत यहां निवेश कर रखा है। इसके अलावा उसकी नजर पापुआ न्यू गिनी के संसाधनों पर भी है जहां सोने, तांबे जैसे संसाधनों का पर्याप्त भंडार है। पिछले साल नवंबर में बैंकॉक में पापुआ न्यू गिनी के पीएम के साथ बैठक में चीनी राष्ट्रपति ने कई क्षेत्रों में सहयोग का आश्वासन दिया था। एफआईपीसीआई सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले 14 प्रशांत द्वीप राष्ट्रों में पापुआ न्यू गिनी ही सबसे बड़ा है और ऑस्ट्रेलिया के सबसे करीब स्थित है। चीन कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत में अपने कई सैन्य ठिकाने स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिससे उत्तरी ऑस्ट्रेलिया यहां घिर सकता है। माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए कोई खतरा अंतत: पूरे क्षेत्र और क्वाड के लिए खतरा बन सकता है।

मोदी पापुआ न्यू गिनी की यात्रा करने वाले भारत के पहले पीएम हैं। वह छोटे से देश के साथ संबंधों को रणनीतिक व आर्थिक स्तरों पर एक ऊंचे मुकाम पर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने रवाना होने से पहले कहा भी था कि प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों के अलावा ढांचागत और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं।