कहा, जांच पूरी होने तक कार्य होने पर होगी संस्था के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई
–सुरेश गांधी
वाराणसी : उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने शुक्रवार को खड़ी दुपहरियां की चिलचिलाती धूप में सारनाथ के पर्यटन पुलिस थाना परिसर में निर्माणाधीन परियोजना का औचक निरीक्षण किया। मंत्री को शिकायत मिली थी निर्माण कार्य स्वीकृत ले-आउट के वितरित कराया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान मौजूद कार्यदाई संस्था के प्रतिनिधि से द्वारा ले-आउट उपलब्ध न कराएं जाने पर मंत्री ने फिलहाल कार्य को रोके जाने का निर्देश दिया। उन्होंने मौके से ही जिलाधिकारी से फोन पर वार्ता कर निर्माण परियोजना की जांच कराकर सही रिपोर्ट देने को कहा। साथ ही निर्माण ईकाई को चेताया है कि जांच से पूर्व यदि काम कराया गया तो संस्था के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। निरीक्षण के दौरान मंत्री को बताया गया कि परिसर में पूर्व में 14 लाख की धनराशि से बने शौचालय को ध्वस्त कर पुनः शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। जबकि इसी शौचालय की कोई उपयोगिता नही हैं। यह भी बताया गया कि परियोजना के अंतर्गत परिसर में ही दो तरफ दुकान बनाया जाना प्रस्तावित है। निर्माण कार्य स्वीकृत ले-आउट के विपरीत किये जाने की भी मंत्री को लोगों ने जानकारी दी।
उन्होंने मौके पर मौजूद कार्यदायी संस्था के लोगों को निर्देशित करते हुए कहा कि शीघ्र ही जिलाधिकारी के साथ बैठक कर इसकी समीक्षा करेंगे। तब तक इसका निर्माण कार्य रोक दिया जाए। उन्होंने परियोजना बनाने से पूर्व जनप्रतिनिधियों के साथ विचार- विमर्श एवं जानकारी दिए जाने पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने पूछा कि परियोजना बनाने से पूर्व विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया। वही पर्यटन थाना परिसर के बगल सटे सड़क का चौड़ीकरण कराए जाने का भी लोगों ने मांग की। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने सारनाथ में बुद्धिस्ट सर्किट के विकास परियोजना के अंतर्गत सारनाथ में विभिन्न देशों के बुद्धिस्ट मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों का 72 करोड़ की लागत से कराए जा रहे विकास कार्य की भी मौके पर जानकारी ली और इस बाबत उन्होंने मौके से ही उप निदेशक, पर्यटन से फोन पर वार्ता की। उन्होंने उप निदेशक, पर्यटन एवं कार्यदायी संस्था के अधिकारी को स्वीकृत परियोजना एवं ले-आउट के साथ उपस्थित होकर अब तक कराए गए कार्यों के प्रगति की जानकारी दिए जाने हेतु निर्देशित किया।
मामला केन्द्रीय जमीन पर सार्वजनिक सड़क बनाए जाने का
दरअसल, थाना परिसर से सटा खाली पड़ा जमीन केन्द्र सरकार के अधीन है। उस जमीन पर पर्यटक थाना के अलावा साइबर सेल थाना के लिए बिल्डिंग बनायी जा वुकी है। उसके बगल में खाली पड़ी जमीन के पिछली चहारदीवारी पर पूर्व में शौचालय था, जिसे क्षेत्रीय कालोनाइजर आदि के दबाव में ढहा दिया गया। इसकी जानकारी जब प्रशासन को लगी तो वहां बुद्ध सर्किट विस्तारीकरण योजना के तहत पटरी व्यवसायियों को बसाने का निर्णय लिया और उनके दुकान आदि बनाने का प्रपोजल तैयार किया गया। इसी प्रपोजल के तहत वहां कार्यदायी संस्था द्वारा शौचालय सहित अन्य निर्माण आदि कराया जा रहा है। जबकि केन्द्रीय सरकारी खाली पड़ी जमीन के बाउंड्रीवाल के पीछे कुछ होटल व कालोनी है। उन लोगों की मंशा है कि अगर यहां शौचालय के बजाय 18 फीट की सड़क हो जाएं तो उनके न सिर्फ जमीन के रेट बढ़ जायेंगे बल्कि व्यवसाय भी बेहतर हो जायेगा। यह अलग बात है कि पीछे जाने के लिए 12 फुट का रास्ता थाना परिसर दक्षिणी क्षेत्र में पहले से ही है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक निर्माण कार्य केन्द्रीय सरकारी जमीन के अंदर व बाउंड्रीवाल के भीतर हो रहा है। चूकि पटरी व्यवसायियों सहित अन्य पर्यटक से जुड़े हस्तनिर्मित उत्पादों के स्टाल बनाएं जोने है। ऐसे में उनकी सुरक्षा व चोरी आदि से बचाने के लिए बाउंड्रीवाल के भीतर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। वैसे भी यह केन्द्र सरकार की जमीन है, इसे सार्वजनिक सड़के लिए नहीं दिया जा सकता। सार्वजनिक उपोग के लिए पहले कई औपचारिकताएं पूर्ण करनी होती है, जो असंभव है।