नई दिल्ली : तीसरे पदक की उम्मीद कर रही हैं, ने कहा कि वह पदक का रंग बदलने के लिए कृतसंकल्पित हैं। 28 वर्षीय सिंधु ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के सहयोग से आयोजित मीडिया से बातचीत कार्यक्रम के दौरान कहा, “आपको होशियार होने और कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है। मुझे लगता है कि मैं वहाँ पहुँच रही हूँ। मैं अति आत्मविश्वासी नहीं हूँ, लेकिन निश्चित रूप से समझदार और अधिक चतुर हूँ और एक और पदक जीतने की उम्मीद कर रही हूँ। उन्होंने कहा, ओलंपिक में अपना तीसरा पदक जीतना असंभव नहीं है। मैंने हाल के दिनों में अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीखा है। मुझे अपना 100 प्रतिशत देना होगा। हर खेल महत्वपूर्ण है और मैं केवल पदक जीतने पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहती। मुझे निश्चित रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
2016 रियो ओलंपिक में रजत और 2020 टोक्यो संस्करण में कांस्य पदक जीतने वाली सिंधु ने कहा, मैंने इस ओलंपिक से पहले एशियाई सर्किट से बहुत अधिक धैर्य रखना सीखा है। अब कोई छोटी अवधि के मैच नहीं होंगे, आसान अंकों की उम्मीद नहीं होगी और कोई भी मैच बड़ी बढ़त के बावजूद तब तक खत्म नहीं माना जाएगा जब तक कि मैच वास्तव में जीत न जाए। उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक एक अलग तरह की चुनौती है, हालांकि यह आपको अन्य प्रमुख सुपर सीरीज प्रतियोगिताओं के विपरीत तैयारी के लिए अधिक समय देता है।
हाल ही में खराब फॉर्म के बारे में उन्होंने कहा, मुझे इस बात का अहसास है कि मैं और बेहतर कर सकती हूं। ऐसा नहीं है कि मैं मैच खत्म नहीं कर पाती। हां, आप जीत की बढ़त के बावजूद मैच हार जाते हैं और कई बार आप पिछड़ने के बावजूद जीत जाते हैं। इसलिए मेरा ध्यान निरंतरता पर रहेगा। चैंपियन शटलर इस समय जर्मनी में प्री-ओलंपिक ट्रेनिंग कैंप में हैं। विदेश में ट्रेनिंग करने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई व्यवधान न हो, ताकि वह अधिक ध्यान केंद्रित कर सके, परिस्थितियों और सुविधाओं के साथ खुद को एक छत के नीचे ढाल सके और अपनी उम्मीद के मुताबिक सर्वश्रेष्ठ टीम के साथ खेल सकें। सिंधु अपने पिछले ओलंपिक से मिली सीख को ध्यान में रखते हुए पेरिस खेलों में उतरेगी।