विभिन्न राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि ‘‘नाकाम’’ वादों और नोटबंदी का प्रभाव पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर होगा जहां लोग ‘‘बदलाव’’ के पक्ष में हैं। पार्टी के अपनी सहयोगी भाजपा के साथ तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। शिवसेना मुंबई में स्थानीय निकाय चुनाव अकेले दम पर लड़ रही है। पार्टी ने कहा कि इन विधानसभा चुनावों के नतीजे देश की राजनीति में बदलाव की शुरूआत होंगे। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में लिखा कि 2014 के लोकसभा चुनाव और आज के माहौल में काफी अंतर है। इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे नोटबंदी और नाकाम वादों को लेकर मतदाताओं के मोहभंग को परिलक्षित करेंगे। पार्टी ने कहा कि नाकाम वादों से लोगों के सपने टूटे हैं और इससे नतीजे प्रभावित होंगे।
शिवसेना ने कहा कि पांच राज्यों के चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों का ड्रेस रिहर्सल के रूप में देखा जा रहा है। पंजाब और गोवा के चुनावों से देश की राजनीति में बदलाव की शुरूआत होगी। पार्टी ने कहा कि लोग एक बार फिर बदलाव चाह रहे हैं। पिछले साल बिहार के चुनाव ने इस बदलाव को दिशा दिखायी थी और पांच राज्यों के चुनाव इस बदलते समय पर मुहर लगाएंगे। पिछले दिनों शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी को मुगलों की तरह काम करने वाला बता दिया था। शिवसेना ने कहा था कि बीजेपी अपनी हिंदुत्व के एजेंडे को भूल गई है। जो लोग हिंदुत्व और राम मंदिर का जिक्र करके, गंगा का पानी बेच-बेचकर आगे बढ़े वह ही राज्य में भगवानों को रखने पर बैन लगा रहे हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने कुछ दिन पहले एक सर्कुलर जारी किया था। उसमें लिखा गया था कि सरकारी दफ्तरों और स्कूलों में भगवान की तस्वीरें नहीं लगा सकते। लेकिन शुक्रवार को शिव सेना के मंत्रियों ने इसका विरोध किया जिसके तुरंत बाद सर्कुलर को वापस ले लिया गया। लेख में छत्रपति शिवाजी का जिक्र करते हुए आगे लिखा गया, ‘छत्रपति ने कभी धर्म के साथ राजनीति नहीं की। उन्होंने हिंदु भगवानों को मुगलों से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन आज की सरकार मुगलों की तरह बर्ताव कर रही है।’