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दिल्ली में प्रदूषण से रोजाना 8 लोगों की मौत होती है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से रोजाना औसत 8 लोगों की मौत हो जाती है। इस समस्या को देखते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि एनसीआर में उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले सल्फरयुक्त रसायन और तेल पर 4 सप्ताह के अंदर रोक लगाए, क्योंकि यह प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली सरकार, हरियाणा, यूपी और राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि दो हफ्ते के अंदर बैठक कर  कारगर योजना तैयार करें। delhi-pollution_1478588171
 
न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और पीसी पंत की पीठ ने बॉस्टन स्थित संस्थान के अध्ययन के आधार पर कहा कि दिल्ली में हर साल प्रदूषण संबंधित बीमारियों से करीब 3000 लोगों की मौत होती है। पीठ ने 2010 के अध्ययन के आधार पर कहा कि ये मौतें असामयिक होती हैं।

वर्ल्ड एलर्जी ऑर्गेनाइजेशन की जर्नल में 2013 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले 66 फीसदी छात्र सांस संबंधी बीमारी से प्रभावित हैं। वहीं मायापुरी में 59 प्रतिशत और दक्षिण दिल्ली के सरोजनी नगर में 46 फीसदी सांस संबंधी बीमारी से ग्रस्त हैं। इस रिपोर्ट के हवाले से कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि तेज यातायात के कारण ही इन इलाकों में बीमारी का यह अंतर है।
 

पीठ ने 8 हफ्ते का समय देने से इनकार करते हुए केंद्र को सल्फरयुक्त भारी ईंधन इस्तेमाल करने वाले सभी हितधारकों से बात करने को कहा है और चार सप्ताह में इस पर रोक लगाने का आदेश दिया है। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार को कहा कि लोगों को सोचना चाहिए कि क्या वह सही कर रहे हैं। दिल्ली में रोजाना औसतन 8 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हो जाती है। रंजीत कुमार ने कहा कि केंद्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सल्फरयुक्त ईंधन पर प्रतिबंध के पक्ष में है, लेकिन उद्योगों को वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त समय नहीं देकर क्या हम सही कर रहे हैं।
पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शीर्ष अदालत के निर्देश पर बने पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ईसीसी) कोष से 2.50 करोड़ रुपये की राशि भी निकालने की मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के लिए उपकरण खरीदने के लिए ढाई करोड़ रुपये खर्च करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण को प्रदूषण जांच केंद्रों के निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली सरकार, हरियाणा, यूपी और राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि दो हफ्ते के अंदर बैठक कर  कारगर योजना तैयार करें। न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की पीठ ने केंद्र सरकार से भी कहा कि वह एनसीआर में उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल और तेल पर 4 सप्ताह के अंदर रोक लगाए, क्योंकि यह प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
 
पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शीर्ष अदालत के निर्देश पर बने पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ईसीसी) कोष से 2.50 करोड़ रुपये की राशि भी निकालने की मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के लिए उपकरण खरीदने के लिए ढाई करोड़ रुपये खर्च करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण को प्रदूषण जांच केंद्रों के निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है।