नई दिल्ली। पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को भारत जहां जांबाज जवानों की दिलेऱी के लिए याद रखेगा, वहीं पाकिस्तान इसे याद करके हमेशा सिहर उठेगा। सर्जिकल स्ट्राइक के करीब चार महीने बाद जवानों के जांबाज कारनामे का ब्योरा सामने आया है।
सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी
सर्जिकल स्ट्राइक के लिए आतंकियों के ठिकानों के सटीक पता लगाने के लिए भारतीय जवान एक दिन पहले ही एलओसी पार कर गुलाम कश्मीर पहुंच गए थे। इसके बाद 28-29 सितंबर, 2016 की आधी रात मेजर रोहित सूरी 4 पैरा के आठ जवानों के साथ गुलाम कश्मीर के भीतर आतंकी लांच पैड तक पहुंचे थे।
भारतीय जवानों के ऐक्शन लेने से पहले ही आतंकियों को इनकी भनक लगी और गोलाबारी शुरू कर दी। मेजर सूरी ने जवानों को इंतजार करने को कहा और जब सुबह छह बजे गोलाबारी बंद हुई तो वे आतंकियों पर टूट पड़े।
आमने-सामने की लड़ाई के दौरान यूएवी के मार्फत दो आतंकियों के भागने की जानकारी मिली। रोहित सूरी ने जान की परवाह किए बिना आतंकियों का पीछा कर नजदीकी लड़ाई में दोनों को मार गिराया। सूरी ने ऐसा नहीं किया होता, सभी जवानों की जान खतरे में पड़ सकती थी।
आतंकियों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए नायब सूबेदार विजय कुमार को एक दिन पहले ही गुलाम कश्मीर पहुंच गए थे। इस दौरान विजय कुमार ने पर भी आतंकियों ने फायरिंग कर दी, लेकिन इसकी परवाह किए बिना ही लांच पैड के पीछे की ओर भागे और उन्होंने मल्टी ग्रेनेड लांचर से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दो आतंकियों को मार गिराया और उनकी ऑटोमैटिक मशीनगनों को बर्बाद कर दिया। लेकिन एक आतंकी, जो बाद तक फायरिंग करता रहा, उसे भी विजय कुमार ने नजदीकी लड़ाई में ढ़ेर कर दिया।
वहीं 27 सितंबर यानी कि सर्जिकल स्ट्राइक से दो दिन पहले ही मेजर रजत चंद्रा की टीम को गुलाम कश्मीर में भेज दिया गया था। आतंकी लांच पैड के नजदीक उनकी पूरी टीम दो दिनों तक जंगल में छुपकर इंतजार करती रही।
कुछ मिनट में ही मेजर रजत चंद्रा की टीम के जवानों ने आतंकियों के हथियार के जखीरे को नष्ट कर दिया। लेकिन इस दौरान थोड़ी दूर पर छिपे एक आतंकी ने ऑटोमैटिक राइफल से फायरिंग शुरू कर दी। अपने जवानों पर खतरे को देखते हुए मेजर चंद्रा फायरिंग के बीच रेंगते हुए आतंकी के पास पहुंचे और उसे मार गिराया था। इस वीरता के लिए गणतंत्र दिवस पर मेजर सूरी को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।
सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जिन 19 जवानों को सम्मानित किया गया है उनमें सभी का प्रशस्ति पत्र इसी तरह की वीरता के वर्णन से भरा है। इन प्रशस्ति पत्र को पढ़ने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की विशालता, तैयारी की बारीकियों और अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग का पता चलता है।
गुलाम कश्मीर में एक साथ कई आतंकी शिविरों पर स्ट्राइक करने के लिए रेकी टीमें पहले ही कूच कर गई थीं। सात-आठ जवानों से लैस हर स्ट्राइक टीम में सभी की जिम्मेदारी अलग-अलग थी। उन्हें कवर करने और सुरक्षित वापस लाने की जिम्मेदारी अलग टीम को दी गई थी।
लांच पैड की सुरक्षा में तैनात संतरियों को मारने के लिए एक खास टीम भेजी गई थी। बिना आवाज के हथियारों से लैस इस टीम में सेना के शार्प शूटर थे। साथ ही मानव रहित विमानों से पूरे ऑपरेशन पर नजर रखी जा रही थी। स्ट्राइक टीम में लगे जवानों को आतंकियों की हर हरकत के बारे में जानकारी भी दी जा रही थी। यही कारण है कि इतने बड़े स्ट्राइक के बाद सभी जवान बिना खरोच लगे वतन वापस आ गए।
सर्जिकल स्ट्राइक के लिए इन जवानों को मिला शौर्य चक्र
इस साल गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कारों से सम्मानित सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवानों के प्रशस्ति पत्र विपक्ष के सवालों का करारा जवाब हैं। रोहित सूरी के अलावा चार जवानों मेजर रजत चंद्रा, मेजर दीपक कुमार उपाध्याय, कैप्टन आशुतोष कुमार और नायब सूबेदार विजय कुमार को वीरता के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।