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बहन के ऐेसे सवालों के आगे लोग निरुत्तर हैं। दोनों बहनें कभी दहाड़े मार कर रोती तो कभी मासूमियत से लोगों से सवाल करतीं। उन्हें ढांढस बंधाने की भी किसी को हिम्मत नहीं हो रही। शहीद की मां की तो जैसे आंखें पथरा गई हैं।
आशुतोष ने ड्यूटी पर जाते समय बहनों को यह भरोसा दिया था कि मार्च में वह घर आएंगे और उनके लिए ढेर सारे सौंदर्य प्रसाधन के सामान लाएंगे। पिता की मौत के बाद दो बहनों, भाई संदीप तथा मां का एक मात्र सहारा आशुतोष ही थे।
पूरे दिन शहीद के घर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। लोग शहीद के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे हैं। दिन में पता चला कि शहीद का पार्थिव शरीर सेना के हेलीकाप्टर से लाया जाएगा। इसके लिए सल्तनत बहादुर इंटर कालेज में हेलीपैड भी बना लिया गया। हालांकि देर शाम को फिर अधिकारियों ने बताया कि शहीद का शव सड़क मार्ग से लाया जाएगा। देर रात तक शव घर पहुंचने की संभावना है।