देशभर में असुरक्षित गर्भपात से हर साल 1.5 करोड़ महिलाओं की मौत हो जाती है। इसमें से 30 लाख उत्तर प्रदेश में होती हैं। इसके पीछे जानकारी का अभाव और सामाजिक बंदिशें हैं।
यदि गर्भवती संकोच छोड़कर सरकारी अस्पताल पहुंच जाएं तो असुरक्षित गर्भपात से उसकी जान जोखिम में नहीं पड़ेगी। महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. बद्री विशाल ने बृहस्पतिवार को एक स्थानीय होटल में ‘सुरक्षित गर्भपात समापन’ विषय पर आईपास फाउंडेशन और यूपी वालेंटरी हेल्थ एसोसिएशन की राज्य स्तरीय गोष्ठी में यह जानकारी दी।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. बद्री विशाल ने कहा, सिर्फ 15-16 फीसदी महिलाओं का ही सुरक्षित गर्भपात हो पाता है। इसके लिए हमें दंपतियों को परिवार नियोजन से जोड़ने की जरूरत है। क्योंकि गर्भवती सरकारी अस्पताल जाने में संकोच करती हैं। जबकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत गर्भपात से संबंधित जानकारी किसी से भी साझा नहीं की जाती है।
संयुक्त निदेशक परिवार कल्याण डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि गर्भपात कराना महिला का हक है लेकिन इसके लिए समय सीमा 49 दिन या सवा दो महीने की समय सीमा तय है।
उन्होंने चिंता जताई कि इस समय सीमा का ही ध्यान नहीं रखा जाता है। महाप्रबंधक परिवार कल्याण डॉ. अल्पना शर्मा ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात के बारे में जानकारी देना जरूरी है।