बिहार के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 1.66 करोड़ बच्चे इस साल भी बिना वार्षिक परीक्षा अगली कक्षा में प्रोन्नत किए जा सकते हैं। हालांकि फिलहाल इसपर निर्णय नहीं लिया जा सका है, लेकिन शिक्षा विभाग कोरोना संकट की वजह से लम्बे समय तक स्कूल बंदी और बच्चों के कॅरियर को देखते हुए इसपर गंभीरता से विचार कर रहा है। पहले शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने और शुक्रवार को शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी बच्चों को बिना परीक्षा प्रोन्नत किये जाने के संकेत दिए।
गौरतलब हो कि कोरोना संकट की वजह से शैक्षिक सत्र 2019-20 में भी वार्षिक परीक्षा नहीं ली जा सकी थी और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने दसवीं को छोड़कर पहली से ग्यारहवीं तक के बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का निर्देश दिया था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने 13 मार्च 2020 को ही राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दे दिया था। 8 अप्रैल के अपर मुख्य सचिव के आदेश से बच्चे अगली कक्षा में प्रोन्नत तो हो गए लेकिन उनकी पढ़ाई आरंभ नहीं हो सकी। कई महीने बाद किताबें पाठ्य पुस्तक निगम की साइट पर अपलोड की जा सकीं। अलबत्ता दूरदर्शन पर कक्षाएं चलाकर शिक्षा विभाग और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने बच्चों को शिक्षण से जोड़े रखने की कोशिश जरूर की।
सदन रहे कि 14 मार्च 2020 से बंद माध्यमिक-उच्च माध्यमिक विद्यालय (9वीं से ऊपर) करीब साढ़े 9 महीने बाद 4 जनवरी 2021 से खोले जा सके हैं। जबकि मध्य विद्यालय (कक्षा 6 से 8) साढ़े दस माह बाद इसी माह 8 फरवरी से खुले हैं। राज्यभर के प्राथमिक स्कूल (कक्षा 1 से पांच) अब भी बंद हैं। ऐसे में प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को तो प्रोन्नत करना तय है। मध्य विद्यालय के बच्चों की भी परीक्षा लेने से बड़ी समस्या सिलेबस पूरी कराने की आएगी। हालांकि विभाग कक्षा 6 से आठ तक की वार्षिक परीक्षा लेने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। वहीं नौवीं और 11वीं की परीक्षा निश्चित तौर पर ली जाएगी।
पिछले साल 1.94 करोड़ छात्र-छात्राएं अगली कक्षा में प्रोन्नत हुए थे
शैक्षिक सत्र 2019-20 में कोरोना संकट के चलते जारी स्कूलबंदी के कारण दसवीं छोड़ पहली से 11वीं तक के सरकारी स्कूलों में नामांकित सभी बच्चों को बिना वार्षिक परीक्षा लिए ही अगली कक्षाओं में प्रोन्नति दे दी गयी थी। इस बाबत 8 अप्रैल 2020 को विभाग ने आदेश जारी किया था। इस निर्णय से 1.94 करोड़ छात्र-छात्राएं अगली कक्षा में प्रोन्नत हो गए थे। इनमें पहली से आठवीं तक के 1.66 करोड़, 9वीं के 16 लाख और 11वीं के करीब 12 लाख विद्यार्थी शामिल थे।