कुछ समय पहले अमेरिका ने पाकिस्तान और तुर्की को अपने बाल सैनिकों की रोकथाम अधिनियम (सीएसपीए) की सूची में जोड़ा है। इसका अर्थ हुआ कि दोनों देशों में नाबालिगों को भी फौज या अन्य सुरक्षा बलों में शामिल किया जा रहा है। इसके बाद तुर्की ने अमेरिका पर “डबल स्टैंडर्ड और पाखंड” का आरोप लगाया है।। एक बयान में, तुर्की के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। वहीं पाकिस्तान ने भी इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश कार्यालय ने कहा कि ये “फैक्चुअल एरर और गलत समझ” को दर्शाता है। साथ ही पाकिस्तान ने वाशिंगटन से पाक के खिलाफ “निराधार दावों” की समीक्षा करने का आग्रह किया।
अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई थी। बता दें कि सीएसपीए की सूची में जोड़ा जाना एक ऐसी कार्रवाई है जो न सिर्फ सैन्य सहायता पर सख्त प्रतिबंध लगा सकती है बल्कि शांति कार्यक्रमों की सूची में शामिल देशों की भागीदारी वाले देशों में भी सूचीबद्ध कर सकती है।
ये देश भी सीएसपीए की सूची में
गौरतलब है कि यूएस चाइल्ड सोल्जर्स प्रिवेंशन एक्ट (सीएसपीए) की सूची में अफगानिस्तान, म्यांमार, कांगो, ईरान, इराक, लीबिया, माली, नाइजीरिया, सोमालिया, सीरिया, वेनेजुएला व यमन भी शामिल हैं। अमेरिका के मुताबिक 18 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति, जो सरकार के सशस्त्र बल, पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों का हिस्सा बनता है या बनाया जाता है, उसे ‘बाल सैनिक’ कहते हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि इन सरकारों में 15 साल से कम उम्र के किशोरों को सेना में शामिल किया जा रहा है।
कौन होते हैं बाल सैनिक?
विदेश मंत्रालय के अनुसार, सूची में जिन देशों को शामिल किया गया है, उनपर अगले वित्त वर्ष में कुछ सुरक्षा सहायताओं और सैन्य उपकरण के व्यावसायिक लाइसेंसीकरण पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। “बाल सैनिक” का अर्थ है 18 साल से कम उम्र का कोई भी ऐसा व्यक्ति जो युद्ध में सीधे भाग लेता है या जिसे सरकारी सशस्त्र बलों, पुलिस या अन्य सुरक्षाबलों में जबरन भर्ती किया गया हो। इसका मतलब 15 साल से कम उम्र के उस व्यक्ति से भी है जो स्वेच्छा से सरकारी सशस्त्र बलों, पुलिस या अन्य सुरक्षाबलों में भर्ती हुआ हो। सीएसपीए सूची में शामिल देशों पर अंतराष्ट्रीय सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण, विदेश सैन्य वित्तपोषण, शांति मिशन आदि के तहत सहायता पर रोक लगाता है ।