कोरोना वायरस ने दूसरी लहर में खतरनाक रूप से तबाही मचाई, लेकिन कई मरीजों ने गंभीर संक्रमण से उबरकर बीमारी को शिकस्त दी। इनमें से एक मेरठ की 45 साल की महिला ने अपने जज्बे और हौसलों से कोरोना को हराया और 100 दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज हुई। महिला 21 अप्रैल को बेहोशी की स्थिति में अस्पताल लाई गई थी, तब उनकी हालत गंभीर थी।मेरठ के ततियाना निवासी अर्चना देवी 21 अप्रैल की रात डॉ. योगिता सिंह की देखरेख में मेरठ मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन आइसीयू में भर्ती की गईं। बेहोशी की स्थिति में लाई गई महिला की हालत गंभीर हो गई थी। आक्सीजन सैचुरेशन 30 फीसद रह गया था। जेआर-3 डॉ. रजत मिश्र ने बताया कि फेफड़ों में गहरा संक्रमण था। सांस लेने में दिक्कत होने के कारण डेढ़ माह तक बाईपैप पर रखना पड़ा। मरीज का डी-डाइमर समेत सभी इंफ्लामेटरी मार्कर कई गुना था। कोविड प्रोटोकाल के तहत सटीक इलाज से धीरे-धीरे तबीयत में सुधार आया।
कोरोना से गंभीर संक्रमित होने के बाद अर्चना का इलाज डेढ़ महीने तक बाइपैप पर चला। इनको कोरोना के वायरस ने गंभीर रूप से जगड़ लिया था। इनका इलाज लंबे समय तक स्टेरायड पर ही चलता रहा। डॉ. योगिता सिंह ने बताया कि लंबे समय तक स्टेरायड चलने के बाद भी महिला ब्लैक फंगस से बची रही। गुरुवार को डिस्चार्ज के समय आक्सीजन सैचुरेशन 94 फीसद से ज्यादा रहा।
वहीं, अर्चना डिस्चार्ज होकर घर पहुंची तो परिजनों ने उनका स्वागत किया। महिला के सही सलामत घर पहुंचने पर परिजनों के चेहरे खिले रहे। उन्होंने डाक्टरों का आभार व्यक्त किया। साथ ही भगवान का भी शुक्रिया किया। अर्चना के घर पहुंचने पर परिवार में खुशी का माहौल है।