पूर्वांचल के जिलों में गंगा के साथ घाघरा ने भी तबाही मचा रखी है। सैकड़ों गांवों के साथ स्कूल-कॉलेज में भी पानी घुस गया है। दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है। लोग सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं। मिर्जापुर में बाढ़ के पानी से चुनार, छानबे और कोन ब्लाक के कई गांव घिर चुके हैं।
टम्मनगंज व रैपुरिया का संपर्क टूट जाने के कारण वहां नांव की व्यवस्था की गई है। गंगा उस पार पक्का पुल के बगल में बनवाया गया शवदाह गृह भी बाढ़ के पानी से डूब गया है। इससे अंतिम संस्कार करने में लोगों को दिक्कत हो रही है। भदोही में बाढ़ के पानी से सैकड़ों एकड़ खेत डूब चुके हैं। सब्जी की खेती बर्बाद हो रही है।
चंदौली में 24 घंटे में चार फीट पानी बढ़ा है। बलुआ गंगा घाट डूबने के बाद पानी बाजार की तरफ बढ़ रहा है। तटवर्ती गांव धानापुर, दुल्लहीपुर, बलूआ और चहनियां के लोग चिंतित हैं। गाजीपुर में खतरे के निशान पार करने के बाद तटवर्ती इलाकों में दहशत है। शहर के गंगाघाट बाढ़ की चपेट में है। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है।
गाजीपुर का जमानियां श्मशान घाट जलमग्न हो चुका है। दाह संस्कार करने वालों के लिए यह मुसीबत बन गया है। मुहम्मदाबाद, भावरकोल, रेवतीपुर, सुहवल, करंडा आदि क्षेत्र का सिवान पूरी तरफ से बाढ़ के पानी से डूब चुका है। बलिया में गंगा के बाढ़ का पानी शुक्रवार की रात बैरिया तहसील के सुघरछपरा, गोपालपुर, उदयीछपरा, दूबेछपरा के साथ ही दयाछपरा ग्राम पंचायत में भोराछपरा, आलमराय के डेरा तक भी पहुंच गया है। अब नदी का रूख पांडेपुर गांव की ओर है।
बाढ़ का पानी पीजी कालेज दूबेछपरा में पहुंच गया। इस समय यहां विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी चल रही हैं। इसके अलावा प्रावि सुघरछपरा व गोपालपुर, बालिका इंटर कालेज व इंटर कालेज दूबेछपरा में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। कई स्कूलों में भी पानी भर गया है।
गंगा नदी के तेवर तल्ख होने के बाद पीड़ित लोग अपने सामानों के साथ छतों पर तिरपाल डालकर शरण ले रहे हैं। इधर, बनारस में शुक्रवार को आधी रात के बाद गंगा के चेतावनी बिंदु पार होते ही सामने घाट क्षेत्र में ज्ञानप्रवाह के पास से बहने वाले नाले से पलट प्रवाह के कारण मारुति नगर और गायत्री नगर के कुछ हिस्सों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
एनडीआरएफ की टीम गंगा और वरुणा में लगातार पेट्रोलिंग भी कर रही है। रोहनिया विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह ने शनिवार को बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा किया। मारुति नगर, गायत्री नगर,पटेल सहित रमना तक जाकर उन्होंने हालात का जायजा लिया। इन इलाकों में फंसे लोगों को हर संभव मदद दिलाने की बात कही। दोनों कॉलोनियों में 50 से अधिक परिवारों के ज्यादातर सदस्य अपना घर छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। रमना तारापुर और टिकरी के तराई इलाके में पानी बढ़ने से 40 बीघा से अधिक क्षेत्रफल में बोई गई नेनुआ, लौकी, बोड़ा, करेला, भिंडी, पालक, टमाटर की फसल डूब गई। रमना गांव के पूरबी हिस्से में गंगा से तीन सौ मीटर दूर पर बना शवदाह स्थल भी पानी में समा गया।
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