यूपी का अब अपना हैप्पीनेस पाठ्यक्रम होगा। इसे पहले 16 जिलों में पायलट के तौर पर लागू किया जाएगा फिर सफलता मिलने पर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुंसधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने शिक्षकों के साथ बैठक कर पाठ्यक्रम की तैयारी पर काम शुरू कर दिया है।
नई शिक्षा नीति में इस पर विशेष बल दिया गया है। एक बार पहले भी हैप्पीनेस पाठ्यक्रम लागू करने की कवायद हो चुकी है लेकिन तब इसके लिए राज्य ने अपना पाठ्यक्रम नहीं तैयार किया था। हापुड़ व बुलंदशहर में कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में इसका पायलट प्रोजेक्ट भी चला था और पूरे प्रदेश में लागू करने के आदेश भी हुए थे लेकिन इस बीच शिक्षकों ने सुझाव दिए कि पाठ्यक्रम को प्रदेश की पारस्थितिकी के मुताबिक करना चाहिए। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की चर्चा तब हुई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का दौरा कर हैप्पीनेस क्लास की जानकारी ली।
यहां चलेगा पायलट प्रोजेक्ट
वाराणसी, देवरिया, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, प्रयागराज, अमेठी, अयोध्या, लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, मथुरा, झांसी व चित्रकूट
क्या होता है हैप्पीनेस पाठ्यक्रम
असली खुशी क्या है? क्या हमारे पास उपलब्ध सुविधाएं खुशी हैं ? हम खुश कब होते हैं? जब कोई दुखी हो तो क्या हम खुश हो सकते हैं? किसी ने हमें परेशान किया तो हम कितनी बार परेशान हुए? इस तरह के कई सवालों का जवाब हैप्पीनेस पाठ्यक्रम देता है। पाठ्यक्रम बताता है कि किस तरह खुश रहा जा सकता है। किस तरह कृतज्ञता, दयालुता, सहज, सरल रहा जा सकता है।
क्या हेाता है फायदा
विद्यार्थियों को खुशी पहचानने की समझ देता है। विद्यार्थियों में जागरूकता पैदा करता है और समझने का नजरिया और विकसित कर देता है। अपने आसपास के माहौल के प्रति संवेदनशील बनाता है। अपनी पहचान पर गर्व करने वाला बनाता है। तार्किक सोच और दिमागी स्पष्टता बढ़ाता है। कृतज्ञता का भाव विकसित होता है।