पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) पंजाब के जरिए भारत में ड्रग्स की आपूर्ति कर रही है। कनाडा तक की ड्रग तस्करी का रास्ता पंजाब सीमा से होकर निकलता है। वहीं दूसरी तरफ ड्रोन से हथियारों को गिराना और पंजाब पुलिस की खाकी का तस्करी में दागदार होना भी संवेदनशील है। इन सबके बीच अब केंद्र सरकार ने बीएसएफ की शक्तियों में इजाफा कर दिया है। बीएसएफ जवान पंजाब में सीमा से 50 किमी के दायरे में जांच और कार्रवाई कर सकते हैं।
इंदिरा गांधी ने किया था 16 किमी तक का दायरा
1971 के युद्ध के बाद 16 किलोमीटर तक सीमा पर हुए नुकसान को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 16 किलोमीटर के दायरे को केंद्रीय सुरक्षा बलों को सौंपने का आदेश दिया था। इसे बाद में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने घटाकर पहले आठ किलोमीटर किया और इसके बाद ये दायरा पांच किलोमीटर कर दिया गया था। अब अचानक केंद्र सरकार ने सीधा 50 किलोमीटर कर दिया है।
ड्रोन से हेरोइन और हथियारों की तस्करी
जमीनी हकीकत यह भी है कि पंजाब में जितनी बड़ी खेप हेरोइन की पंजाब पुलिस ने बरामद की है, उनके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तार सीमावर्ती गांवों के लोगों से जुड़े हैं। 2020 में पंजाब सीमा पर 506.241 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई, जबकि 2019 में 232.561 किलो हेरोइन जब्त हुई। इसके अलावा 2021 में 31 मई तक 241.231 किलोग्राम हेरोइन बरामद हो चुकी है। यह भी खतरे की घंटी है कि ड्रोन से सीमावर्ती गांवों में हथियार व ड्रग पहुंचाया जा रहा है।
सितंबर 2019: खेमकरण में एके टाइप की पांच राइफलें, 150 कारतूस, सात पिस्तौल ड्रोन ने गिराए गए, जो पुलिस ने बरामद कर लिए। यह ड्रोन ओवरलोडिंग के कारण क्रैश हो गया था
दिसंबर 2020: बीएसएफ ने कोट रजादा में 70 राउंड फायरिंग की लेकिन ड्रोन हथियार गिराकर वापस लौट गया।
22 दिसंबर 2020: गुरदासपुर में पाक ड्रोन ने 11 ग्रेनेड गिराए, जो सुरक्षा एजेंसियों ने बरामद किए
22 फरवरी 2021: गुरदासपुर सेक्टर में बीएसएफ ने पाक ड्रोन पर फायरिंग की थी
18 जून 2021: पाक से ड्रोन के माध्यम से भेजे गए 50 पिस्तौल स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल ने बरामद किए
आठ अगस्त 2021: पुलिस ने ड्रोन से गिराए टिफिन बम, ढाई किलोग्राम आरडीएक्स, पांच ग्रेनेड और सौ कारतूस बरामद किए। केंद्रीय एजेंसियों के लिए यह टिफिन बम सिरदर्द बने हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय एजेंसियों के पास काफी लंबी चौड़ी फेहरिस्त है कि सीमा से सटे कई गांवों के लोग ड्रग व हथियारों की तस्करी में लिप्त हैं। बीएसएफ को अब कार्रवाई करने की पूरी छूट होगी
खाकी भी हुई दागदार
तस्करी मामले में खाकी भी दागदार हुई है। खन्ना के पायल इलाके से पकड़ा गया पूर्व अकाली सरपंच गुरदीप सिंह राणो केस की जांच में यह बात सामने आई है कि निलंबित पुलिस अधिकारियों ने राणो की मदद की और उसे वीआईपी सुरक्षा व गाड़ियां उपलब्ध करवाईं। एसटीएफ ने सात नवंबर 2020 को पांच किलो 390 ग्राम हेरोइन के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया था। उनसे 21 लाख की ड्रग मनी, दो रिवाल्वर व एक राइफल भी बरामद की गई थी। इसके अलावा आठ लग्जरी गाडियां जब्त की गईं थीं।
इस केस में आईजी परमराज उमरानंगल, चौथी आईआरबी पठानकोट में तैनात असिस्टेंट कमांडेट वरिंदर जीत सिंह थिंद, फरीदकोट में तैनात एसपी (डिटेक्टिव) सेवा सिंह मल्ली, एसपी परमिंदर सिंह बाठ व डीएसपी (डिटेक्टिव) करण शेर सिंह को सस्पेंड किया गया है। तीन साल पहले 1986 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस और डीजीपी रैंक के अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने जब पंजाब के तत्कालीन डीजीपी सुरेश अरोड़ा, पंजाब पुलिस इंटेलीजेंस चीफ दिनकर गुप्ता और मोगा के एसएसपी राज जीत सिंह पर ड्रग्स सरगनाओं को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए तो पंजाब से लेकर दिल्ली तक हिल गई थी।
तीन साल से हाईकोर्ट में पड़ी है सीलबंद रिपोर्ट
डीजीपी सुरेश अरोड़ा पर सीधा अटैक हुआ था। दरअसल, चट्टोपाध्याय पंजाब और हाईकोर्ट की ओर से गठित उस विशेष जांच टीम (एसआईटी) की अगुवाई कर रहे थे जो ड्रग्स की समस्या से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच कर रही थी। मामला इतना बढ़ गया कि डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने वरिष्ठ अफसरों के शामिल होने के मामले में अकेले ही हस्ताक्षर कर रिपोर्ट कोर्ट में दी थी। तीन साल से सीलबंद रिपोर्ट हाईकोर्ट में पड़ी हुई है।