उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से सपा शासन काल में हुई 54 विभागों में वैयक्तिक सहायक व आशु लिपिक 808 पदों पर हुई भर्ती में अनियमितता की पुष्टि हुई है। इस मामले में सतर्कता अधिष्ठान ने आयोग के पांच अधिकारियों को दोषी माना है और शासन से इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियोजन स्वीकृति मांगी है।
जानकारी के अनुसार सपा शासन काल में कुल 54 विभागों में वैयक्तिक सहायक व आशु लिपिक के 808 पदों पर उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भर्तियां की थीं। इन भर्तियों की जांच 2017 में योगी सरकार ने सतर्कता अधिष्ठान को सौंप दी थी। सतर्कता अधिष्ठान ने इस मामले में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पांच अधिकारियों को दोषी माना है।
इसमें तत्कालीन अनुभाग अधिकारी राम बाबू यादव, प्रवर वर्ग सहायक अनुराग यादव, जंग बहादुर, विरेंद्र कुमार यादव और सुरेंद्र कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 166, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अभियोजन की कार्रवाई किए जाने का निर्णय लिया गया है। इस मामले में कार्मिक विभाग ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को पत्र लिखकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई के लिए सतर्कता निदेशक को स्वीकृति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
चयनित अभ्यर्थियों के भविष्य पर संकट
दर असल इस पूरे मामले में शिकायत की गई थी कि पात्र अभ्यर्थियों की जगह पर अपात्रों को नियुक्ति दे दी गई। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने सभी भर्तियों की जांच कराई। इसमें 54 विभागों के वैयक्तिक सहायक व आशु लिपिक के यह 808 पद भी शामिल थे। यह सभी मौजूदा समय में अपने अपने विभागों में नौकरी कर रहे हैं। सतर्कता की जांच के बाद अब इनके भविष्य पर भी संकट गहरा गया है।