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Farrukhabad Election Result: चारों सीटों पर फिर लहराया भगवा, अतिविश्वास व टिकट वितरण में चूक से डूबी सपा की नैया

फर्रुखाबाद जनपद की चारों विधानसभा सीटों पर इस बार भी भगवा लहराया। सपा को छोड़कर कोई भी दल भाजपा को टक्कर नहीं दे सका। बसपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं। पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी पूर्व विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी लुईस खुर्शीद को करारी हार का सामना करना पड़ा।

विधानसभा चुनाव में मुख्य लड़ाई सपा और भाजपा के बीच ही रही। सपा प्रत्याशी आखिरी तक लड़े लेकिन जीत नहीं सके। भाजपा ने पिछले चुनाव की तरह इस बार भी जिले की सभी चारों सीटों पर विजय पताका फहराई। सबसे कड़ा मुकाबला कायमगंज सीट पर रहा।

यहां भाजपा गठबंधन प्रत्याशी अपना दल से डॉ. सुरभि ने 1,14,647 मत हासिल कर सपा प्रत्याशी सर्वेश आंबेडकर को 18,247 वोटों से हराया। दूसरे नंबर पर रहे सर्वेश को 96,400 मत मिले। बसपा प्रत्याशी दुर्गा प्रसाद को 18441 व कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला देवी को मात्र 2243 वोट ही मिले। इन दोनों प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं।

सर्वाधिक 44686 मतों से जीते विधायक सुशील शाक्य
जिले में विधानसभा क्षेत्र अमृतपुर से भाजपा प्रत्याशी विधायक सुशील शाक्य ने सर्वाधिक 44,686 वोटों से जीत हासिल की। इन्हें 98,848 मत मिले। दूसरे नंबर पर रहे सपा प्रत्याशी डॉ. जितेंद्र सिंह यादव 54,162 वोट ही हासिल कर सके। बसपा प्रत्याशी अमित कुमार सिंह को 13049, कांग्रेस प्रत्याशी शुभम तिवारी को मात्र 1313 व निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व राज्यमंत्री नरेंद्र सिंह यादव को 12,449 वोट मिलने से इनकी जमानतें जब्त हो र्गइं। 

मेजर ने सदर सीट से नहीं छोड़ा कब्जा 
फर्रुखाबाद सदर सीट से भाजपा प्रत्याशी व विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने 38,795 मतों से जीत हासिल की। उन्होंने 1,10,950 मत हासिल किए। इस सीट पर सपा प्रत्याशी सुमन शाक्य उर्फ सुमन मौर्य के बाहरी होने से जनता ने स्वीकार नहीं किया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सुमन शाक्य को 72,155 वोट मिले। कांग्रेस जिलाध्यक्ष का पद छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े विजय कटियार 16,383 मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे। वहीं, पूर्व विदेेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी पूर्व विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी लुईस खुर्शीद मात्र 2017 वोट पाकर चौथे नंबर पर रहीं। इस सीट पर कुल प्रत्याशियों में उपविजेता को छोड़कर कोई भी जमानत नहीं बचा सका। 

भोजपुर में फिर नागेंद्र सिंह का कब्जा 
विधानसभा क्षेत्र भोजपुर में भाजपा और सपा की जबरदस्त टक्कर रही। यहां से सपा प्रत्याशी अरशद जमाल सिद्दीकी को मजबूत माना जा रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, फिर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह के बेटे एटा के सांसद राजवीर सिंह की सभा का ऐसा जादू चला कि नाराज क्षत्रिय व लोधी मतदाता भाजपा के लिए एकजुट हो गए। इससे भाजपा प्रत्याशी विधायक नागेंद्र सिंह राठौर 24,458 वोटों से जीत हासिल कर फिर विधायक बने। उन्हें कुल 99,979 वोट मिले। सपा प्रत्याशी अरशद जमाल 75,521 मत पाकर विधायक नागेंद्र सिंह राठौर से दूसरी बार भी चुनाव हार गए। बसपा प्रत्याशी आलोक वर्मा लोधी बिरादरी को भी नहीं साध सके और उन्हें 15,714 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना राठौर मात्र 2053 मत पाकर अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं। 

अतिविश्वास, टिकट वितरण में चूक से डूबी सपा की नैया
सपा को जिले की चारों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। सभाओं में भीड़ जुटी, भौकाल भी बना, मगर एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। हार की मुख्य वजह अतिविश्वास के साथ ही टिकट वितरण में चूक को माना जा रहा है। जिले में खुद को मजबूत मानकर पार्टी पदाधिकारियों और प्रत्याशियों के लहजे में अकड़ आ गई थी। कायमगंज व सदर सीट पर स्थानीय प्रत्याशियों का न होना भी हार की एक वजह रही।

सपा की सभाओं में भीड़ जुटने से जिला संगठन के नेता और प्रत्याशी खासे उत्साहित थे। बावजूद इसके गुरुवार को परिणाम आया, तो एक भी प्रत्याशी जीत नहीं पा सका। इसकी कुछ खास वजह रहीं। पार्टी का हर कार्यकर्ता अतिविश्वास से भरा था। लिहाजा उनके बातचीत के तरीकों में भी मतदान से पहले ही बदलाव आ गया। इसे जनता बखूबी समझ रही थी। इसके अलावा सदर और कायमगंज सीट पर बाहरी प्रत्याशियों पर भरोसा जताया। इन दोनों ही सीटों पर स्थानीय लोगों ने काफी हो-हल्ला मचाया था।

सदर सीट से मुस्लिमों के बड़े गुट ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र भेजकर स्थानीय प्रत्याशी उतारने की मांग की थी, मगर हाईकमान ने कोई तवज्जो नहीं दी। इसके पीछे जिले के कुछ बड़े नेताओं का हाथ था। यही नहीं सदर प्रत्याशी सुमन शाक्य एक पूर्व विधायक के परिजनों के इर्द-गिर्द ही घूमती रहीं। उन्होंने संगठन नेताओं से भी दूरी बनाए रखी।

कायमगंज सीट पर भी बाहरी का मुद्दा रहा। जिस दिन सर्वेश आंबेडकर को टिकट मिली, उसके बाद कई दिन तक विरोध होता रहा। पुतला दहन तक हुआ। समर्थक चाहते थे कि जिस नेता ने पांच साल विपक्ष में रहकर काम किया, उसे टिकट मिले। इस वजह से भी लोगों में खासी नाखुशी रही। इसके अलावा चुनाव भी काफी हल्के से लड़ा गया। अमृतपुर में पूर्व राज्यमंत्री नरेंद्र सिंह यादव का टिकट काटकर सपा ने डॉ. जितेंद्र यादव पर विश्वास जताया। जितेंद्र ने चुनाव तो पूरी दमदारी से लड़ा, मगर परिणाम काफी खराब रहा। हालांकि नरेंद्र सिंह को वोट उनके कद को देखते हुए काफी कम मिले। इसके पीछे बताया जाता है कि नरेंद्र सिंह का वोट बूथ तक मतदान करने नहीं पहुंचा। 

बोले सपा जिलाध्यक्ष
सपा जिलाध्यक्ष नदीम अहमद फारूकी ने कहा कि जनादेश स्वीकार है। सपा को पहले से काफी अधिक वोट मिले हैं। फिर भी किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी। इसके कारणों की समीक्षा की जाएगी।