देहरादून : उत्तराखंड में देश का पहला ज्योग्राफिकल इंडिकेशन बोर्ड यानी कि जीआई बोर्ड के गठन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए केंद्रीय उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के महा नियंत्रक डॉ उन्नत पी पंडित ने उत्तराखंड के कृषि और कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में जीआई बोर्ड की गठन की प्रक्रिया गतिमान हुई है और बनने के बाद यह देश का पहला जीआई बोर्ड होगा। इससे पूर्व कृषि मंत्री गणेश जोशी की ओर से प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जीआई बोर्ड बनाने की घोषणा की है। इस बोर्ड के बनने से स्थानीय उत्पादों को कानूनी संरक्षण भी मिलेगा। आपको बता दें कि उत्तराखंड में क्षेत्र विशेष में उत्पादित पारंपरिक और जैविक उत्पादों के संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए राज्य भौगोलिक संकेत बोर्ड (ज्योग्राफिकल इंडिकेटर) बनाए जाने का निर्णय धामी सरकार ने किया है।
यह बोर्ड जीआई पंजीकरण कराने के साथ घरेलु व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इन उत्पादों की मांग व विशेषताओं का अध्ययन करते हुए संभावित उत्पादों की पहचान भी करेगा। यह बोर्ड स्थापित सीमाओं के भीतर और सहमत मानकों के अनुसार उत्पाद का उत्पादन करने वाले किसी भी निर्माता और अन्य संबंधित ऑपरेटर को संकेत का उपयोग करने का अधिकार प्रभावी ढंग से देने के लिए एक प्रणाली तैयार करेगा। बोर्ड के गठन से जीआई प्रमाणित उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा। जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। साथ ही जैविक व क्षेत्र विशेष के उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए ब्रांडिंग की जाएगी। भौगोलिक संकेत (जीआई) ऐसे उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाता है जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल या स्थान होता है। जो उस भौगोलिक मूल के कारण एक विशेष गुण व महत्व रखते हैं। प्रदेश में मुनस्यारी की राजमा समेत नौ उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया। जबकि 11 अन्य उत्पादों की प्रक्रिया चल रही है। इस साल के अंत तक प्रदेश के 20 और उत्पादों को जीआई टैग मिल सकता है।