सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से आयोजित शिविर में उपमहारजिस्ट्रार ने दवा खाकर शिविर का शुभारंभ किया
फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य ने आपबीती बताई तो सभी कर्मचारी संवेदित हो गए और दवा खाने में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया
लखनऊ : फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 10 फरवरी से चल रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत मंगलवार को जनगणना कार्य निदेशालय के अधिकारियों व कर्मचारियों ने दवा खाई। फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य गंगा प्रसाद गुप्ता ने जैसे ही अपनी आपबीती बताई तो सभी कर्मचारी संवेदित हो गए और दवा खाने में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। स्वास्थ्य विभाग और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से आयोजित इस शिविर का शुभारंभ जनगणना कार्य निदेशालय के उपमहारजिस्ट्रार मनीष चौधरी ने दवा खाकर किया। इसके बाद तकनीकि निदेशक ए.एम. अंसारी और संयुक्त निदेशक ए.के. राय ने दवा खाई। इसके बाद दफ्तर के सभी कर्मचारियों ने लाइन लगाकर दवा का सेवन किया। शिविर खत्म होने पर दफ्तर के 250 से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों ने दवा का सेवन कर लिया।
शिविर की शुरुआत में उपमहारजिस्ट्रार मनीष चौधरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इससे बचाव का एकमात्र विकल्प फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन है। मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी से हाइड्रोसील, हाथ-पैर व स्तन में सूजन आदि हो सकता है। दवा का सेवन ही इस बीमारी से बचा सकता है। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक डॉ गौरव पाण्डेय ने किया। इस मौके पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि यदि दवा खाने के बाद जी मिचलाना, उल्टी जैसे समस्या हो तो इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी थे और उनके मरने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया होती है। यह अपने आप ठीक हो जाती हैं। इसके बाद भी यदि कोई दिक्कत होती है तो स्वास्थ्यकर्मी या रैपिड रिस्पांस टीम से संपर्क करना चाहिए। फाइलेरियारोधी दवा का सेवन दो वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है।