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अब घर बैठे करा सकेंगे जमीन की रजिस्ट्री

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साफ्टवेयर तैयार हो रहा है .रामशंकर सिंह, एआइजी- रजिस्ट्री कार्यालय

गोरखपुर: घर बैठे जमीन की रजिस्ट्री कराने की सुविधा मिलने वाली है। शासन ऐसा साफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जिसके आधार पर भूमि अथवा संपत्ति का बैनामा कराने के लिए रजिस्ट्री कार्यालय जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। क्रेता की ओर से बैंक में पैसा जमा होगा। फिर क्रेता-विक्रेता इंटरनेट के जरिये आनलाइन आवेदन करेंगे और रजिस्ट्री कार्यालय में बैठे उप निबंधक कंप्यूटर पर उनके आवेदन को देखकर बैनामा की प्रक्रिया पूरी कर देंगे। रजिस्ट्री विभाग में पहचान के लिए क्रेता- विक्रेता और खतौनी का विवरण आधार कार्ड से जुड़ा रहेगा। यह नई व्यवस्था दो से तीन माह में लागू हो जाएगी।

दरअसल बैनामा के लिए ई स्टांपिंग की व्यवस्था शुरू हो चुकी है। यह अलग बात है कि जागरूकता के अभाव में इस प्रणाली का प्रयोग कम ही हो रहा है। रजिस्ट्री विभाग जागरूकता के लिए अभियान भी चलाने जा रहा है।

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रजिस्ट्री शुल्क में भी कैशलेस ट्रांजेक्शन प्रणाली

रजिस्ट्री कार्यालयों में बैनामा के समय नकद के रूप में जमा किए जाने वाले रजिस्ट्री शुल्क को पूरी तरह बंद करने की तैयारी शुरू हो गई है। इससे क्रेता को तो राहत मिलेगी ही, रजिस्ट्री विभाग को नकद जमा धनराशि अगले दिन बैंक में ले जाने की समस्या से भी मुक्ति मिल जाएगी। अक्सर यह धनराशि लाखों में रहती है और इसे बैंक तक ले जाना जोखिम भरा भी रहता है। इसके लिए भी साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।

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ये है ई स्टांपिंग व्यवस्था

दस हजार रुपये से ज्यादा के स्टांप शुल्क का भुगतान ई स्टांपिंग के माध्यम से होता है। ई स्टांप प्रमाण पत्र के लिए रजिस्ट्री कराने वाले को एक फार्म भरना होता है। फार्म में उसे अपना विवरण देने के साथ ही निष्पादित किए जाने वाले अंतरण विलेख (बैनामा से संबंधित दस्तावेज) का विवरण देना होता है। फार्म के साथ स्टांप शुल्क के बराबर बैंक (स्टाक होल्डिंग सेंटर) में धनराशि जमा करने पर उसे ई स्टांप प्रमाणपत्र मिलता है। प्रमाण पत्र व संबंधित दस्तावेज रजिस्ट्री कार्यालय में देना होता है। फिलहाल अभी रजिस्ट्री करने से पहले वहां पर इंटरनेट से दिए गए ई स्टांप प्रमाण पत्र को देख कर सब रजिस्ट्रार लाक करते हैं और प्रमाणपत्र अंकित करते हैं। बायोमेट्रिक डिवाइस से अंगूठा निशान, वेब कैमरे से फोटो लेने आदि की प्रक्रिया पूरी करने के साथ संपत्ति का पंजीकरण करते हैं। लाक करने के बाद ई स्टांप प्रमाण पत्र को देखा तो जा सकता है लेकिन उसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

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रजिस्ट्री कार्यालय को पूरी तरह कैशलेस ट्रांजेक्शन आधारित बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विभाग इसके लिए नया साफ्टवेयर विकसित कर रहा है। उम्मीद है दो से तीन माह में इस पर अमल शुरू हो जाएगा।