जम्मू-कश्मीर में 2016 में अब तक हुए आतंकी हमलों में 87 जवान शहीद हुए हैं। यह आंकड़ा 2008 के बाद किसी एक साल में सबसे ज्यादा है। बता दें कि सितम्बर में जम्मू-कश्मीर के उड़ी में हुए आतंकी हमले में 1 जवान शहीद हुए थे। आतंकी हमलों पर नजर रखने वाली साइट एस.ए.टी.पी. के अनुसार जम्मू-कश्मीर में पिछले हफ्ते तक कुल 87 जवान शहीद हुए थे। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में 2008 में सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए थे। 2008 में आतंकी हमलों में 0 जवानों की शहादत हुई थी।
पिछले एक दशक के दौरान कश्मीर में 2016 सुरक्षा बलों के लिए सबसे खराब साल रहा है। आतंकियों ने अपने नवीनतम हमले में शनिवार को दक्षिण कश्मीर के पाम्पोर कस्बे में श्रीनगर-जम्मू हाईवे से गुजर रहे सेना के काफिले को निशाना बनाया। इस हमले में सेना के 3 जवान शहीद हो गए थे और आतंकी हमले के बाद फरार हो गए।
आंकड़ों के अनुसार वर्तमान साल में 2008 के बाद सबसे ज्यादा मौतों को रिकॉर्ड किया गया। इसके विपरीत 2008 के बाद 2016 के दौरान पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के सफल प्रयासों की संख्या भी अधिक है। वर्ष 2008 से कश्मीर में आतंक संबंधी ङ्क्षहसा में गिरावट दर्ज की गई थी। यह प्रवृत्ति 2014 तक जारी रही जिसके बाद स्थिति अचानक खराब हो गई और ङ्क्षहसा भड़कने लगी। यह साल पिछले 2 सालों की तुलना में खराब रहा है। इनमें से सुरक्षा बलों के लिए एक ङ्क्षचताजनक प्रवृत्ति यह रही है कि आतंकियों के हर हमले के साथ ही सुरक्षा बलों के जवानों ने शहादत पाई है।
इस साल कश्मीर घाटी एक बार फि र से उबाल पर है। 8 जुलाई से हो रही ङ्क्षहसक घटनाओं में 97 लोग मारे जा चुके हैं और सैंकड़ों लोग घायल हैं। बीते सालों में जहां सीमापार से घुसपैठ तथा आतंकी घटनाओं में बड़ी कमी आई है, वहीं विरोध प्रदर्शनों की संख्या बढ़ती गई है। घायलों में हजारों सुरक्षा बल के जवान भी शामिल हैं। कश्मीर में जहां ङ्क्षहसा की घटनाओं की कुल संख्या में पिछले सालों की तुलना में मामूली उछाल हुआ है वहीं, सुरक्षा बलों की मौत या घायल होने की संख्या काफी बढ़ गई है। इस साल 30 सितम्बर तक कश्मीर में 63 सुरक्षाकर्मियों की शहादत हुई जबकि 181 घायल हो गए हैं।
: आतंकी हमलों में शहीदों का आंकड़ा-
2008 में 90 जवान शहीद
2009 में 78 जवान शहीद
2010 में 67 जवान शहीद
2011 में 30 जवान शहीद
2012 में 17 जवान शहीद
2013 में 61 जवान शहीद
2014 में 51 जवान शहीद
2015 में 41 जवान शहीद