हमीरपुर जिले का भारतीय किसान यूनियन का जिलाध्यक्ष निरंजन राजपूत मिनी ‘रामवृक्ष जैसा बन गया है। कोई उस पर हाथ न डाल पाए इसके लिए आठ गांवों के ग्रामीण सुरक्षा में रात दिन तैनात हैं। ग्रामीणों की इस भीड़ में महिलाएं भी हैं। दावा किया जा रहा है कि लोग उसके लिए जान लेने और जान देने तक पर आमादा है। रात में गांव की सुरक्षा ऐसी कि मथुरा का जवाहर बाग याद आ जाए। उसकी तैयारी की भनक लगने पर हमीरपुर, कानपुर और फतेहपुर की पुलिस आसपास घेराबंदी तो किए है, लेकिन गांव में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
रविवार रात से कानपुर के घाटमपुर के लहुरीमऊ गांव का नजारा ही बदला हुआ है। गांव में घुसते ही तीन स्थानों पर तार में कंटीली झाडिय़ां लगाकर रास्ते पर बैरियर लगा दिए गये। पहले बैरियर पर लाठी-डंडा लेकर खड़े ग्रामीण हर आने-जाने वाले से परिचय पूछते हैं। उसके बाद मोबाइल से अंदर सूचना देकर अनुमति के बाद ही प्रवेश की इजाजत देते हैं। इजाजत के बाद चार-पांच लठैत जवान आने वाले शख्स को भाकियू जिलाध्यक्ष निरंजन राजपूत और महिला जिलाध्यक्ष विशेखा राजपूत के पास ले जाते हैं। गांव में स्थित एक तीन मंजिल की धर्मशाला के सबसे नीचे तख्त के बने मंच पर निरंजन राजपूत और विशेखा बैठते हैं। बरामदे में लाठी-डंडे लेकर बैठी सैकड़ों महिलाएं ढोलक की थाप पर भजन-कीर्तन कर रात व्यतीत कर रही हैं।
बाहर धर्मशाला के अंदर मैदान में भंडारा चलता है। वहां कुछ किसान खाना बना रहे हैं, बड़ी सी कढ़ाई में पूडिय़ां और सब्जी बन रही है। वहीं कतार में बैठकर किसान खाना खा रहे हैं। गांव के बाहर भी अलग-अलग समूहों में अलाव जलाकर ग्रामीण रखवाली करते हैं। सभी के हाथ में लाठी और डंडे हैं। धर्मशाला की दूसरी मंजिल पर करीब सौ लोग लाठी-डंडे लेकर तैनात हैं। तीसरी मंजिल पर भी बाउंड्रीवाल के चारो ओर पत्थरों के ढेर लगाये गए हैं। यहां पर छत के चारों कोनों पर एक-एक लठैत बेहतर टार्च के साथ मौजूद है, जो कि समय-समय पर धर्मशाला के पीछे खेतों में टार्च लगाकर आहट लेते रहते हैं।