डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर भले ही ट्रांजैक्शन शुल्क (एमडीआर) लगता हो लेकिन ‘आधार’ आधारित पेमेंट प्रणाली के जरिये लेनदेन करने पर सरकार ग्राहक और व्यापारियों को प्रोत्साहन राशि दे सकती है। साथ ही ‘आधार’ प्रणाली के माध्यम से भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार इसके लिए जरूरी हार्डवेयर (आधार डोंगल) की कीमतें नीचे लाने के उपाय भी कर सकती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैंकों की बैठक में इन उपायों पर चर्चा की गयी। इस बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों के साथ आधार पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने के संबंध में चर्चा हुई।
प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि ‘आधार’ आधारित भुगतान प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट जमा करने की 5000 रुपये की सीमा के बारे में पूछे जाने पर प्रसाद ने कहा कि इस संबंध में सरकार जल्द ही प्रतिक्रिया देगी। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रलय के बैंकिंग एंव वित्तीय सेवा विभाग में आयोजित इस बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ-साथ रिजर्व बैंक, नाबार्ड और एनपीसीआइ के अधिकारियों ने शिरकत की। बताया जाता है कि आरबीआइ के शीर्ष अधिकारी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुंबई से इस बैठक में शामिल हुए। ‘आधार’ के माध्यम से भुगतान के लिए जरूरी हार्डवेयर खासकर डोंगल की कीमतें घटाने के संबंध में भी बैठक में चर्चा हुई। बताया जाता है कि फिलहाल इस डोंगल की कीमत करीब 1500 रुपये है। इसे घटाकर 500 रुपये से 1000 के बीच लाया जा सकता है। इस डोंगल का इस्तेमाल भुगतान करने वाले व्यक्ति के बॉयोमैटिक लेने के लिए किया जाता है।
सूत्रों ने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कार्ड के माध्यम से होने वाले भुगतान पर मर्चेट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर के रूप में जो चार्ज लगता है, उसकी जगह ग्राहक को कुछ प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है। यह राशि प्रति ट्रांजैक्शन ग्राहक और मर्चेट को दी जा सकती है। हालांकि अभी यह तय नहीं कि यह राशि कितनी होगी।