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नजाकत और नफासत के शहर में भाईचारे के दंगल पर एकता का दांव

गंगा जमुनी विरासत को संजोए शहर-ए-लखनऊ की अपनी अलग पहचान है। नजाकत, नफासत और भाईचारे के शहर में तहजीब की चादर ओढ़े भारतीय संस्कृति आज एक बार फिर मुस्कुरा उठी। मौका था आरडीएसओ मैदान में आयोजित दंगल का। क्रिसमस-डे और अटलबिहारी वाजपेई के जन्म दिन के उल्लास में सभी शरीक हो रहे थे। दूसरी ओर मैदान में पहलवान आपसी सद्भाव और भाईचारे के दंगल में एकता को दांव लगाए जा रहे थे। वर्षों पुरानी परंपरा जीत का परचम लहरा रही थी।wrestling_1467042112जयकरन पहलवान, उसमान और संत कंवर जीत सिंह ने 1957 में सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए आलमबाग में दंगल की शुरुआत की थी। उसके बाद जगह बदली, लेकिन परंपरा कायम रही। तीनों के निधन के बाद स्थानीय निवासियों ने इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। हर वर्ष 25 दिसंबर को ईसाई समाज के लोगों के नर्व क्रिसमस पर एकता के दंगल में भाईचारे की दास्तां लिखी जाती है। सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर हिस्सा लेते हैं। जयकरन पहलवान, उस्मान खान एवं संत कंवरजीत सिंह स्मारक समाज कल्याण समिति की ओर आयोजित होने वाले दंगल में राजधानी के साथ ही दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, गोरखपुर, वाराणसी व सैफई के पहलवान दो-दो हाथ करते हैं। इस अवसर पर महापौर डॉ. दिनेश शर्मा व पूर्व विधायक डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के अलावा साई सेंटर के निदेशक राजेंद्र सिंह समेत कई पहलवान मौजूद थे।

 

कुश्ती के दांव से पहले यहां तेजपाल सिंह कोहली के संयोजन में एकता का लंगर लगाया जाता है। लंगर में खिलाड़ी ही नहीं आसपास के लोग भी प्रसाद ग्रहण करते हैं। परंपरा पिछले 31 वर्षों से कायम है। समिति के अध्यक्ष रमेश पहलवान के साथ ही बद्री विशाल शुक्ला, रवि अवस्थी, अभय सिंह, शैलेंद्र पाल, ताज मुहम्मद, आशीष सोनकर व प्रशांत मिश्रा के साथ ही कई लोगों ने मिलकर लंगर में शिरकत करते हैं।

 

दंगल में पुरुष पहलवानों के साथ ही महिला पहलवानों ने भी हिस्सा लिया। खुली कुश्ती होने की वजह से हर कोई किसी से भी लडऩे के लिए तैयार होता है, लेकिन समिति के लोग दंगल का फैसला स्वयं करते हैं। 100 से अधिक पहलवानों ने दंगल में हिस्सा लिया और देर शाम तक कुश्तियों का दौर चलता रहा।

कुश्ती के दौरान उत्कृष्ट पहलवानों ने कुशल दांव पेच का प्रदर्शन कर सभी का दिल जीत लिया। बड़ी कुश्तियों में डीएलडब्लू वाराणसी और दिल्ली के परवेज के साथ बराबरी पर छूटी तो डीएलडब्लू वाराणसी के अर्जुन और वाराणसी के गोपी ने बारबरी का दांव लगाकर एकता की ताकत दिखाई। महिला वर्ग में साईं लखनऊ की नीतू सिंह ने रायबरेली की प्रियंका का पटखनी देकर जीत का सेहरा अपने माथे पर बांधा।

 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर कुडिय़ा घाट पर तहरी भोज में पूर्व प्रधानमंत्री की यादों की महक उठी। भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपने-अपने तरीके से याद किया। भाजपा महानगर इकाई के मुकेश शर्मा के संयोजन में आयोजित भोज में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या भले ही नहीं आए, लेकिन महापौर डॉ. दिनेश शर्मा ने अटल जी को याद कर माहौल को उनके रंग में रंगने का सफल प्रयास किया। पूर्व सांसद लालजी टंडन ने भी उनके साथ बिताए पलों को साझा किया तो विधायक आशुतोष टंडन ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री के भाषणों को जिक्र करके कार्यकर्ताओं में जोश भरा। भाजपा के प्रदेश महामंत्री पंकज सिंह ने भी पूर्व प्रधानमंत्री की कविताओं से बहुत कुछ सीखने की बात कही। पूर्व विधायक सुरेश तिवारी, सुरेश श्रीवास्तव, पार्षद हरसरन लाल गुप्ता, साकेत शर्मा, धमेंद्र तिवारी, विष्णु त्रिपाठी लंकेश, अनिल कुमार व कृष्णानंद राय के अलावा रंजना मिश्र सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए। भजन संध्या का भी आयोजन किया गया।