8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके बाद से पूरे देश में लोग कैश की समस्या से जूझ रहे हैं। वित्त मंत्रालय ने दावा किया था कि नोट छापने का काम तेजी से हो रहा है और जल्द ही लोगों की कैश की समस्या दूर हो जाएगी।
अब सरकार के दावे पर सवाल खड़ा हो रहा है। पश्चिम बंगाल के सालबोनी की मुद्रा प्रिंटिंग प्रेस में नोटबंदी के बाद से लगातार नोटों की छपाई का काम हो रहा है। वहां लोग दिन-रात एक करके काम कर रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी लगातार बीमार हो रहे हैं।
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, परेशान कर्मचारियों ने ओवरटाइम करने से इनकार कर दिया है। इसके लिए कर्मचारियों के एक वर्ग ने वहां के अधिकारियों को सूचित किया है कि वे नौ घंटे से अधिक समय तक काम नहीं करेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के कर्मचारी संघ ने एक नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों से कहा है कि 14 दिसंबर से लगातार ओवरटाइम शिफ्ट में काम करने की वजह से उनके कई सदस्य बीमार पड़ गए हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और संघ के अध्यक्ष सिसिर अधिकारी ने कहा कि मैसूर और सालबोनी में नोटों की छपाई से कई कर्मचारी बीमार पड़ गए हैं। 14 दिसंबर से सभी कर्मचारियों को अधिकारियों द्वारा 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया गया ताकि नकदी की कमी पूरी की जा सके।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के लगातार काम करते रहने से उनके परिवार पर भी इसका उल्टा असर पड़ रहा है।